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बागवान दीपाल ने पेश किया स्वरोजगार का उदहारण, बागबानी से कमा रहे अच्छा मुनाफा

उत्तर नारी डेस्क 

मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता है होंसलों से उड़ान होती है। यह बात फिट बैठती है एक ऐसे ग्रामीण युवा पर जिसने घर में रहकर ही स्वरोजगार से जुड़ने का मन बनाया और बागवानी लगाकर आज अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। वैसे तो उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र पलायन की खबर हर किसी को बड़ा चिंतित करती हैं। रोजगार के लिए युवा बड़ी संख्या में पहाड़ छोड़ रहे हैं। ऐसे में टिहरी जिले के कैम्पटी फॉल के निकट कॉर्न विलेज सैंजी गांव के निवासी  दीपाल ने इस धारणा को बदलने का कार्य किया। जिसमें अपनी मेहनत, नवाचार और नई तकनीकी के बूते उन्होंने पहाड़ी ढलान की असिंचित भूमि को सोना उगलने वाला बना दिया। 

आठ वर्ष पूर्व नैनबाग क्षेत्र के उद्यान पंडित कुन्दन सिंह पंवार से प्रेरित होकर युवा बागवान दीपाल द्वारा स्वरोजगार का मन बनाया, जिसमें बागवानी का क्षेत्र चुनकर बगीचे में डॉक्टर परमार औद्यानिक एवं वानिकी विश्व विद्यालय नौणी सोलन हिमाचल प्रदेश, नारायणी बागवानी पाब नैनबाग व निर्मल नर्सरी हरबर्टपुर से आडू,खुमानी, पुलम, नैक्ट्रीन, नीबू, अनार आदि सहित अनेक प्रकार के फलदार पेड़ लगाकर अब अच्छा मुनाफा कमा रहे है। शुरुवाती दौर में तो काफी निराशा भी थी क्योंकि उस जगह पर ना तो पानी की सुविधा थी और न घेरबाड़, लेकिन धीरे धीरे जलागम परियोजना, उद्यान विभाग व कृषि विभाग द्वारा पानी व घेरवाड़ की गई जिससे बागवान दीपाल को काफी सहारा मिला। कुछ समय बाद सभी पेड़ अच्छे फल देने लगे जिन्हें विक्रय हेतु पर्यटक स्थल के कैम्पटी में ले जाया गया जहां पर सौ प्रतिशत ऑर्गेनिक फल पर्यटकों को काफी लुभा रहे हैं, जिनका उचित दाम मिलने से आज दीपाल अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं। इस बागवानी के कार्य में दीपाल के माता-पिता सहित उनकी धर्मपत्नी दीपिका का अच्छा सहयोग मिला। बगीचे में ही दीपाल द्वारा गौशाला सहित एक अच्छा घर भी बनाया है। पहाड़ी क्षेत्रों में बंदर, लंगूर सहित जंगली जानवर काफी नुकसान भी पहुंचाते हैं लेकिन घर वहीं पर होने के कारण बगीचे की अच्छी तरह देखभाल हो जाती है। 

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