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कोटद्वार में डेंगू के एक और मरीज की पुष्टि, अब तक 5 मामले आए सामने

उत्तर नारी डेस्क 

बरसात के दिनों में डेंगू के मच्छरों का खतरा बना रहता है। जा सी लापरवाही के चलते डेंगू के मच्छर पनपते हैं। वहीं, उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल जिले के कोटद्वार में डेंगू के मरीज मिलने लगे हैं। अब क्षेत्र के काशीरामपुर मल्ला में डेंगू का मरीज मिला है। कोटद्वार का यह पांचवां और काशीरामपुर मल्ला का पहला केस है।

जानकारी के अनुसार, रविवार शाम बेस अस्पताल में काशीरामपुर मल्ला से 41 वर्षीय डेंगू पीड़ित पुरुष को भर्ती कर इलाज शुरू किया गया। इससे पहले कोटद्वार के लकड़ी पड़ाव, सैंधीखाल निवासी युवा पुलिसकर्मी और नीलकंठ में कांवड़ ड्यूटी देकर लौटे दो पुलिसकर्मी डेंगू पीड़ित हो चुके हैं। वहीं, स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की ओर से डेंगू से बचाव के लिए जनजागरूकता पर भी जोर दिया जा रहा है, लेकिन लोगों में जागरूकता का अभाव है। दरअसल टीम को सर्वे के दौरान गिवईं स्रोत के उस परिवार में डेंगू का लार्वा मिला है, जहां विगत वर्ष डेंगू के तीन मरीज मिले थे। वहीं, नगर निगम ने निचले इलाकों में कीटनाशक छिड़काव, फॉगिंग के साथ ही सफाई एवं पानी की निकासी पर तेजी से काम शुरू कर दिया है। इसके बावजूद अभी भी कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पानी रुका हुआ है। इस तरह की लापरवाही से डेंगू की समस्या बढ़ने की आशंका भी बढ़ रही है।


डेंगू क्या है?

डेंगू बुखार, जिसे आमतौर पर हड्डी तोड़ बुखार के रूप में भी जाना जाता है, एक फ्लू जैसी बीमारी है, जो डेंगू वायरस के कारण होती है। यह तब होता है, जब वायरस वाला एडीज मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है। 


डेंगू के लक्षण :- 

सिर दर्द

मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों में दर्द

जी मिचलाना

उल्टी लगना

आंखों के पीछे दर्द

ग्रंथियों में सूजन

त्वचा पर लाल चकत्ते होना

तीन प्रकार के बुखार होते हैं, जिनसे व्यक्ति को खतरा होता है, जो इस प्रकार हैं – हल्का डेंगू बुखार, डेंगू रक्तस्रावी बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम।


हल्का डेंगू बुखार - इसके लक्षण मच्छर के दंश के एक हफ्ते बाद देखने को मिलते हैं और इसमें गंभीर या घातक जटिलताएं शामिल हैं।

डेंगू रक्तस्रावी बुखार - लक्षण हल्के होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे कुछ दिनों में गंभीर हो सकते हैं।

डेंगू शॉक सिंड्रोम - यह डेंगू का एक गंभीर रूप है और यहां तक कि यह मौत का कारण भी बन सकता है।


डेंगू का उपचार:- टायलेनोल या पैरासिटामोल जैसी दर्द निवारक दवाएं आमतौर पर रोगियों को दी जाती हैं। गंभीर डिहाइड्रेशन के मामले में कभी-कभी आईवी ड्रिप्स प्रदान की जाती हैं।

हाइड्रेटेड रहें : यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमारे शरीर के अधिकांश तरल पदार्थों का उल्टी और तेज बुखार के दौरान ह्रास हो जाता है। तरल पदार्थों के लगातार सेवन से यह सुनिश्चित हो जाता है कि शरीर आसानी से डिहाइड्रेट नहीं होगा।

स्वच्छता : स्वच्छता का अत्यधिक महत्व है, तब तो और भी ज्यादा जब आप स्वस्थ नहीं होते हैं। मरीज यदि नियमित स्नान नहीं कर सकता तो स्पंज से स्नान का विकल्प चुन सकता है। नहाने के लिए उपयोग किए जा रहे पानी में डेटॉल जैसे कीटाणुनाशक तरल की कुछ बूंदें मिलाएं। यह भी सलाह दी जाती है कि अस्पताल में मरीज को देखने से पहले और बाद में डेटॉल जैसे किसी हैंड सैनिटाइजर से अपने हाथ साफ करें। कपड़ों के रोगाणुओं से छुटकारा पाने के लिए रोगी के कपड़े धोने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पानी को डेटॉल से कीटाणुरहित करें।

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