उत्तर नारी डेस्क
देश के पहले ऋतु प्रवासी पर्यटन ग्राम माणा मणि भद्रपुर में भीम पुल के पास मां सरस्वती के मंदिर के भव्य निर्माण के बाद इसी पौराणिक स्वर्गा रोहिणी मार्ग पर पांच भाई पांडवों की द्रोपदी और एक श्वान के साथ लगी मिश्र धातु की बेहतरीन नक्काशी युक्त मूर्तियों की स्थापना की गई है। जो माणा भीम पुल, सरस्वती मंदिर आने वाले हजारों श्रद्धालुओं के आकर्षण का मुख्य केंद्र बनी हुई है। साथ ही स्वर्गारोहिनी सतोपंथ की अदभुत अलौकिक अनुभूति से भरी आध्यात्मिक यात्रा के प्रति श्रद्धालुओं में जिज्ञासा पैदा कर रही है।
वशुधारा स्वर्गारोहिणी मार्ग पर स्थापित पांच भाई पांडवों की द्रोपदी और एक श्वान के साथ लगी कुल 7 मूर्तियां बद्रीनाथ धाम के दर्शनों के पश्चात माणा भीम पुल, व्यास गुफा, सत्य पथ सतोपंथ स्वर्गारोहिणी वसु धारा पहुंचने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए विशेष आध्यात्मिक शांति की अनुभूति प्रदान कर रही है। इनकी एक झलक देखने से ही द्वापर युग में पांडवों द्वारा महाभारत के युद्ध के बाद इसी मार्ग से स्वर्गारोहिनी यात्रा करने का वृतांत जेहन में आ रहा है।
गौरतलब है की इसी मार्ग से करीब 35 किलोमीटर की विकट मार्ग से होकर चमतोली, लक्ष्मी वन, सहस्त्र धारा, चक्र तीर्थ, मार्ग से 15 हजार फीट की ऊंचाई पर उच्च हिमालई तीर्थ सत्य पथ सतोपंथ सरोवर के दर्शन होते है। यहां से आगे स्वर्गारोहिणी की सीढ़ियां साफ नजर आती है। इसी सत्य पथ यात्रा करते हुए पांच भाई पांडवों और द्रोपदी द्वारा स्वर्गारोहिणी यात्रा की गई थी। वहीं इसी स्वर्गारोहिणी मार्ग गमन करते हुए विभिन्न कारणों से एक एक करके वसुधारा से लेकर लक्ष्मी वन, सहस्त्र धारा, चक्र तीर्थ तक क्रमश द्रोपदी, नकुल, सहदेव, और धनुर्धारी अर्जुन अपने प्राण त्याग दिए थे। वहीं सतोपंथ सरोवर के समीप महा बलि भीम ने भी अपनी देह त्यागी थी, यहां से सिर्फ धर्मराज युधिष्ठिर एक श्वान के साथ अकेले स्वर्गारोहिनी यात्रा पर आगे बढ़े थे,,, जहां से उन्हें पुष्पक विमान लेने पहुंचा था।
बता दें कि सरस्वती मंदिर माणा का निर्माण करने वाले एमआईटी पुणे के संस्थापक और अध्यक्ष डॉ. विश्वनाथ कराड़ ने ही इस स्वर्गारोहिणी सतोपंथ मार्ग पर पांच भाई पांडवों के साथ द्रोपदी और श्वान की कुल मिलाकर सात मूर्तियां की स्थापना की है, जिसमें सबसे आगे पांडवों के स्वर्गारोहिणी यात्रा के मार्ग के पथ प्रदर्शक स्वान की मूर्ति है उसके बाद पांडवों के बड़े भाई युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, द्रोपदी, सहदेव, की मूर्तियां मिश्र धातु की मूर्तियां स्थापित की गई है, जो बर्फ में भी पूर्णतया सुरक्षित रहेगी। ये मूर्तियां 4 कुंतल से लेकर 13 कुंतल वजनी बताई जा रही है। अब भीमपुल के समीप स्वर्गारोहिणी मार्ग पर पांडवों की इन आकर्षक मूर्तियां के लगने के बाद बदरी छेत्र के इस आध्यात्मिक तीर्थ की ओर महत्ता बढेगी, श्रद्धालु की संख्या में वृद्धि होगी, तीर्थ यात्रियों को ये मूर्तियां काफी आकर्षित करेगी मूर्तिया लगने के बाद बड़ी संख्या में तीर्थ यात्रियों को इन मूर्तियों के साथ यादगार तस्वीरें लेते हुए भी देखा जा रहा है। जाहिर सी बात है माणा स्वर्गारोहिणी मार्ग पर इन मूर्तियों के लगने से छेत्र में आध्यात्मिक पर्यटन में बढ़ोतरी तो होगी ही साथ ही यहां पहुंच रहे श्रद्धालुओं में स्वर्गारोहिणी सतोपंथ सत्य पथ की यात्रा के प्रति जिज्ञासा भी पैदा होगी, जिससे तीर्थाटन पर्यटन भी बढ़ेगा, लोग सतोपंथ स्वर्गारोहिनी यात्रा के प्रति जागरूक होंगे।