Uttarnari header

uttarnari

उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री की बेटी ने स्पेशल ड्रेस में करी कांस में एंट्री

उत्तर नारी डेस्क 

कान्स फिल्म फेस्टिवल 2025 की जोरदार शुरुआत हो चुकी है। कांस की चर्चा इन दिनों खूब हो रही है। हर दिन बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक के कई सितारे रेड कार्पेट पर अपने स्टाइल और ग्लैमर का जलवा बिखेर रहें हैं। इसी बीच उत्तराखण्ड के पूर्व सीएम डॉ रमेश पोखरियाल निशंक की बेटी अरुषि निशंक को भी देखा गया। जिन्होंने इस बार अपना कांस डेब्यू किया। उनका यह डेब्यू सुर्खियों में रहा। 

आपको बता दें, आरुषि की ड्रेस ने सिर्फ़ ग्लैमर नहीं बल्कि ड्रेस के जरिए वैश्विक संदेश भी दिया है। जहां फैब्रिक वेस्ट से बना गाउन पहनकर उन्होंने कांस में एंट्री की। रेड कार्पेट पर फैब्रिक वेस्ट से बनी उनकी सस्टेनेबल ड्रेस ने पर्यावरण जागरूकता और सौंदर्य का ऐसा मेल पेश किया, जो नज़ीर बन गया है।

अभिनेत्री व सामाजिक कार्यकर्ता आरुषि निशंक द्वारा कांस फ़िल्म फेस्टिवल में रेड कार्पेट पर सर्कुलर फैशन की ड्रेस पहनकर वॉक करते हुए सर्कुलर फैशन को बढ़ावा दिया। वहीं अपनी कस्टम ड्रेस के जरिए एक वैश्विक पर्यावरण के प्रति जागरूक और सामाजिक न्याय संदेश भी दिया।

आरुषि की ड्रेस में जटिल हाथ-कढ़ाई की विशेषता थी, जो टिकाऊ डिज़ाइन सिद्धांतों को अपनाते हुए इसे और आकर्षित बनाती है। हरा रंग जीवन शक्ति और प्रकृति के साथ सद्भाव का प्रतीक है। पर्यावरण वकालत के लिए एक सूक्ष्म संकेत। उपयोग की जाने वाली सामग्री नैतिक रूप से सोर्स की गई थी और स्थायी रूप से उत्पादित की गई थी। यह ड्रेस शून्य-अपशिष्ट काटने की तकनीकों के साथ बनाया गया था जो पर्यावरणीय प्रभाव को कम करता है। 

इसके साथ ही मेकिंग इंडिया ए ग्लोबल फ़िल्म पावर हाउस में अतिथि के रूप में अरुषि को आमंत्रित किया था। इस दौरान कान में पैनल से बोलते हुए अरुषि ने कहा कि फ़िल्मों में फैशन स्रोत सामग्री का उपयोग हमेशा पर्यावरण के अनुकूल तत्वों और अर्थव्यवस्था को उच्च फैशन में शामिल करने की बढ़ती प्रवृत्ति पर ज़ोर देता है। उन्होंने कहा कि इस बदलाव ने फैशन और फ़िल्म उद्योग में स्थिरता के बढ़ते महत्व को उजागर किया है।

बताते चलें कि, आरुषि निशंक भारत के पूर्व शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल की बेटी हैं। वे एक अंतरराष्ट्रीय कथक डांसर भी हैं। आरुषि ने 'तारिणी' फिल्म से बतौर एक्ट्रेस बॉलीवुड में डेब्यू किया है। आरुषि 'स्पर्श गंगा' एनजीओ की को-फाउंडर भी हैं।

Comments