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उत्तराखण्ड : एक जून से पर्यटकों के लिए खुलेगी फूलों की घाटी

उत्तर नारी डेस्क 

विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए एक जून को खोल दी जाएगी। इसको लेकर नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बार घाटी में आने वाले पर्यटकों के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा भी मिलेगी। पार्क प्रशासन ने इसकी वेबसाइट को लांच कर दिया है।

फूलों की घाटी जाने के लिए घांघरिया में ऑफलाइन पंजीकरण किया जाता है जिसमें पार्क प्रशासन की ओर से निर्धारित शुल्क जमा करना होता है। इस बार पर्यटकों के लिए ऑनलाइन पंजीकरण की भी सुविधा उपलब्ध कर दी गई है। पर्यटक https://valleyofflower.uk.gov.in पर अपना पंजीकरण करवा सकते हैं। वहीं नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के फूलों की घाटी रेंज की टीम घांघरिया के लिए रवाना हो गई है। टीम यहां बारिश से हुए नुकसान का आकलन करेगी। टीम के लौटने के बाद रास्तों की मरम्मत सहित अन्य कार्य किए जाएंगे।

नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के डीएफओ तरुण एस ने बताया कि फूलों की घाटी के लिए वेबसाइट लांच कर दी गई है, पर्यटक इसमें ऑनलाइन शुल्क जमा कर पंजीकरण कर सकते हैं। फूलों की घाटी में बारिश से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए टीम भेज दी गई है, जिसके बाद वहां काम शुरू किया जाएगा।

फूलों की घाटी का लुत्फ उठाने के लिए फॉरेस्ट डिपार्टमेंट द्वारा शुल्क भी निर्धारित किया गया है।भारतीयों के लिए शुल्क 200 रुपए है,जबकि विदेशी नागरिकों के लिए 800 रुपए शुल्क निर्धारित किया गया है। चमोली के घांघरिया में टूरिस्ट के रूकने के लिए पर्यटन विभाग और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की तरफ से अच्छी खासी सुविधा उपलब्ध है। फूलों की घाटी में आने का सबसे शानदार मौसम जुलाई और अगस्त माह माना गया है। आपको फूलों की घाटी में तरह-तरह के फूल और वनस्पतियां दूर-दूर तक दिखाई देंगे। फूलों की महक से यह पूरी घाटी हमेशा महकते रहती है। साल 2013 की आपदा में इस घाटी को भी काफी नुकसान पहुंचता था। यहां पाई जाने वाली कई वनस्पतियां पूरी तरह से खत्म हो गई थी। हालांकि, विभाग की तरफ से साल दर साल घाटी में कई सुविधाएं बढ़ाई गई।

फूलों की घाटी के बारे में कहा जाता है कि इसकी खोज 1931 में एक ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ और आरएल होल्ड्सवर्थ ने की थी। वो यहां की खूबसूरती को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए थे। यही कारण है कि वो यहां से जाने के बाद दोबारा घाटी में आए थे और उसके बाद उन्होंने एक किताब लिखी, जिसमें उन्होंने यहां की खूबसूरती को शब्दों में पिरोया। उसके बाद फूलों की घाटी लोगों के प्रकाश में आई। बता दें कि साल 2005 में फूलों की घाटी को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप स्थान दिया गया।

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