उत्तर नारी डेस्क
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नगर निगम कोटद्वार का नाम परिवर्तित कर कण्व ऋषि के नाम पर कण्व नगरी कोटद्वार रखने पर स्वीकृति प्रदान की है। अब नगर निगम कोटद्वार कण्व नगरी कोटद्वार के नाम से जाना जायेगा।
बता दें, कि पिछले साल दिसंबर में कोटद्वार नगर निगम ने शासन को इसका प्रस्ताव भेजा था। कोटद्वार के सामाजिक संगठन नाम बदलने की लंबे समय से मांग कर रहें थे जिस पर आज मुख्यमंत्री ने कोटद्वार के नाम को बदलने की स्वीकृति दे दी है। कोटद्वार का नया नाम बदलने पर कण्वनगरी के निवासियों में खुशी की लहर व्याप्त है।
आपको बताते चलें की पौड़ी जिले के सबसे महत्वपूर्ण शहर और गढ़द्वार के नाम से जाना जाने वाला कोटद्वार एक पौराणिक शहर है। इसका जिक्र कई धर्मग्रन्थों और महाभारत कालीन साहित्य में मिलता है। प्राचीन काल में कोटद्वार में कण्व ऋषि का आश्रम होता था। ये उच्च शिक्षा का प्रमुख केंद्र हुआ करता था। देश के कई हिस्सों से छात्र यहां आश्रम में वेद और पुराणों की शिक्षा लेने आते थे। वेद-पुराणों के अलावा ये आश्रम ज्योतिष, कर्मकांड और आयुर्वेद की शिक्षा का प्रमुख केंद्र हुआ करता था। महर्षि कण्व की तपस्थली और चक्रवर्ती सम्राट भरत की जन्मस्थली कण्वाश्रम कोटद्वार शहर से करीब 14 किलोमीटर के फासले पर स्थित है। इसलिए कोटद्वार शहर की पहचान महर्षि कण्व के नाम से भी है। इसी आश्रम में हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत और शकुंतला को विवाह के बाद पुत्र प्राप्त हुआ था। इन्हीं राजा भरत के नाम पर हमारे देश का नाम आगे जाकर भारत पड़ा।