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कोटद्वार : इलाज के लिए दर-दर की ठोकरे खाने को मजबूर हुए उत्तराखण्ड कलाकार प्रकाश मोहन गढ़वाली

उत्तर नारी डेस्क 

देश के तमाम हिस्सों में उत्तराखण्ड की संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने वाले लोक कलाकार प्रकाश मोहन गढ़वाली इन दिनों तंगहाली का जीवन जी रहे हैं। संस्कृति के लिए अपना संपूर्ण जीवन न्यौछावर कर देने वाले प्रकाश मोहन गढ़वाली की न तो प्रशासन द्वारा कोई मदद की जा रही है न ही राज्य सरकार द्वारा। वैसे तो उत्तराखण्ड की संस्कृति के संरक्षण के लिए राज्य सरकार खूब दावे करती है। सरकार इसके लिए मोटी रकम भी खर्च करती है। लेकिन जब बात संस्कृति की रक्षा करने वाले लोगों के सुध लेने की आती है तो प्रदेश सरकार  मूकदर्शक बन जाती है। 

दरअसल, उत्तराखण्ड की संस्कृति के लिए पूरा जीवन लगा देने वाले लोक कलाकार प्रकाश मोहन गढ़वाली दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। क्योंकि प्रकाश मोहन इन दिनों कोटद्वार के अस्पताल के बिस्तर पर लाचार पड़े हैं और उनकी स्थिति और भी बिगड़ने लगी। जिसको देखते हुए स्थानीय डाक्टरों ने उन्हें बेहतर चिकित्सा के लिए जौलीग्रांट के लिए रेफर कर दिया। ऐसे में उनके सामने समस्या आ गई कि जौलीग्रांट जैसे अस्पताल में वो अपना इलाज कैसे करा पाएंगे। ऐसे में उनके परिजनों और उनके शुभचिंतकों और प्रशसंकों ने मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, संस्कृति मंत्री सतपाल महराज से अपील की है कि प्रशासन उनकी सुध ले और उनके समुचित इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित कराएं।

कौन हैं प्रकाश मोहन गढ़वाली

प्रकाश मोहन गढ़वाली उत्तराखण्ड के पौड़ी जिले के कोटद्वार के सुप्रसिद्ध लोक कलाकार है। उन्होंने आकाशवाणी और दूरदर्शन के लिए काम किया है। इन्होंने श्रीदेव सुमन, वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली, कण्वाश्रम की महिमा, माधो सिंह भंडारी, तीलू रौतेली, जीतू बग्डवाल, रामी बौराणी, बावन गंदूकी, धरती आदि ऐतिहासिक गीत एवं नाटिकाओं का मंचन किया है। साथ ही देवी दंव्यनों की स्वाणी धरती, बड़ी आस करी अदो हे बाबा, बेटी बचावा बेटी पढ़ावा समेत कई अन्य सुप्रसिद्ध गीत, लेख एवं कविताएं लिखी। इसके साथ ही आप उत्तराखण्ड के जाने माने गीतकार व संगीतकार है। कई राज्यों ने आपको पुरस्कृत भी किया है।

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