उत्तर नारी डेस्क
केस-1
कोटद्वार निवासी डॉ. अजय (काल्पनिक नाम) को उनके मोबाइल नम्बर पर एक अनजान नंबर से कॉल आया—"बधाई हो डॉक्टर साहब! आपके नाम लकी ड्रॉ में बड़ी इनामी राशि निकली है बस कुछ औपचारिकताएं पूरी कर दीजिए। अज्ञात कॉल का अंदाज़ इतना भरोसेमंद था कि डॉ. साहब ने झांसे में आकर कुछ ही मिनटों में ₹81,000 की राशि कॉलर को ट्रांसफर कर दी लेकिन जैसे ही कॉल कट हुआ और सच्चाई का एहसास हुआ तब तक वे ठगी का शिकार हो चुके थे।
अपने साथ धोखाधड़ी का अंदाजा होने से डर व घबराहट में उन्होंने तुरंत साइबर सैल कोटद्वार से संपर्क किया। शिकायत मिलते ही साइबर टीम तुरंत हरकत में आई। संबंधित बैंक और पेमेंट गेटवे से लगातार संपर्क करते हुए साइबर सैल ने समय रहते हुए पूरी 81,000 रू0/- की धनराशि डॉ. साहब के खाते में वापस करवा दी।
केस-2
इसी क्रम में एक और कोटद्वार निवासी अरविंद कुमार अपने भाई को UPI के ज़रिए ₹30,000/- भेजना चाहते थे लेकिन एक छोटी सी टाइपिंग गलती ने उनके सामने बड़ी चिंता खड़ी कर दी एक गलत नम्बर टाइप होने से सारा पैसा किसी अज्ञात व्यक्ति के खाते में चला गया। जब उन्होंने उस अज्ञात व्यक्ति से पैसे वापस मांगने की कोशिश की, तो उसके द्वारा साफ़ मना कर दिया गया। जिसके बाद अरविंद कुमार द्वारा साइबर सेल कोटद्वार का दरवाज़ा खटखटाया। आमजन की सहायता में तैयार बैठी साइबर पुलिस टीम ने मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित बैंक नोडल अधिकारियों से त्वरित संपर्क किया और कुछ ही समय में वह ₹30,000 रू0/- की धनराशि अरविंद कुमार के खाते में वापिस करवा दी गई।
साइबर सेल की मुस्तैदी व कार्यवाही ने यह साबित कर दिया कि यदि आप समय रहते ऑनलाइन धोखाधड़ी,ठगी की शिकायत करें, तो ठगी से हारी हुई बाज़ी भी जीती जा सकती है।