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प्रधानमंत्री मोदी ने 'मन की बात' में की उत्तराखण्ड के सच्चिदानंद भारती की तारीफ, जानें वजह

उत्तर नारी डेस्क 

प्रधानमंत्री मोदी ने आज अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 78वें एपिसोड को संबोधित किया। जहां मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखण्ड की जमकर तारीफ की है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिकों से जारी मानसून के बीच वर्षा जल संचयन पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह भी किया और इसी के साथ पीएम मोदी ने उत्तराखण्ड के पौड़ी जिले के पर्यावरणविद् और सेवानिवृत्त शिक्षक सच्चिदानंद भारती का भी जिक्र किया।  उनका उदाहरण देते हुए कहा कि शिक्षक सच्चिदानंद भारती द्वारा उफरैंखाल क्षेत्र में जल संकट समाप्त करने के लिए जो चारखाल तरीका अपनाया गया है वो काबिले तारीफ है। तथा उनके प्रयासों की सराहना की है। 

आपको बता दें सच्चिदानंद भारती ने पहाड़ों में जल संरक्षण के पारंपरिक तरीके ‘चालखाल’ जिसमें गड्ढा खोदकर पानी जमा किया जाता है, में नए तौर – तरीकों को जोड़कर उन स्थानों तक पानी पहुँचाया जहाँ लोग पानी के लिए तरसते थे, उनकी मेहनत से आज वहाँ साल-भर जल की आपूर्ति हो रही है। जो एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने 1989 में बीरोंखाल के उफरैंखाल में इस काम को शुरू किया। इसके तहत उन्होंने छोटे-छोटे चाल खाल बनाए। जिनमें बरसात के पानी का संरक्षण किया। उन्होंने क्षेत्र में करीब 30 हजार से अधिक चाल-खाल बनाए। जिन्हें उन्होंने ‘जल तलैया’ नाम दिया। मोदी ने भारती जी की जमकर तारीफ करते हुए कहा कि भारती जी ने जल संरक्षण और पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए अब तक 30 हजार जल तलईया बनवाई हैं।  “ यहीं नहीं, भारती जी का यह भगीरथ कार्य आज भी जारी है और अनेक लोगों को प्रेरणा भी दे रहे हैं ताकि आसपास के गांवों में भी पेयजल संकट दूर किया जा सके। ” 

बताते चलें कि बीरोंखाल ब्लाक (जिला पौड़ी गढ़वाल) के गाडखर्क गांव के मूल निवासी सच्चिदानंद भारती पिछले चार दशक से पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। उनका पाणी राखो आंदोलन विश्व प्रसिद्ध है। पिछले कई सालों से कोटद्वार के भाबर स्थित घमंडपुर गांव में निवास कर रहे सच्चिदानंद भारती इंटर कालेज उफ्रैंखाल से सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, जिनकी पर्यावरण के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हैं।


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