उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जनपद में स्थित भारत-तिब्बत के बीच बनी गरतांग गली पिछले दिनों ही पर्यटकों के लिए खोल दी गयी है। जहां अब तक पर्यटकों से गुलजार इस गरतांग गली को 500 से भी ज्यादा पर्यटक देखने आ चुके हैं। तो वहीं हर दिन यहां पर्यटकों के घूमने की संख्या में भी इजाफा हो रहा हैं। लेकिन इस बीच इसी समाज के कुछ असामाजिक तत्व या पर्यटक ऐसे भी होते हैं जो जहां भी जाते है वह वहां की खूबसूरती को हानि पहुंचा कर अपनी एक गन्दी छाप छोड़ जाते है। अब आप सोच रहे होंगे की ऐसा क्यों कहा जा रहा है या ऐसा पर्यटक क्या करते है?
तो आपको बता दें पर्यटक बड़ी संख्या में पर्यटक स्थल पिकनिक मनाने व घूमने जाते हैं और अपनी आम दिनचर्या की परेशानियों व चिंताओं से हट कर कुछ वक्त वातावरण में जीवन का आनंद लेते हैं पर इनमें से कई असामाजिक तत्व या पर्यटक ऐसे भी होते हैं, जो वहां की सुंदरता व स्वच्छता को देख नहीं पाते और पर्यटक स्थलों पर जाकर गंदगी फैलाना या वहां दीवारों पर बड़े बड़े काले अक्षरों में नाम लिख कर वहां के पर्यटन पर बट्टा लगाने पर तुले रहते हैं।
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अब ऐसा ही एक निराशाजनक मामला गर्तांग गली में देखने को मिला। जहां पर्यटकों ने इस खूबसूरत गर्तांग गली को भी नहीं बख्शा और गरतांग गली की इस धरोहर पर जो कि लकड़ी से निर्मित सीढ़ीदार ट्रैक से बना है। उस पर बड़े बड़े काले अक्षरों में नाम लिख कर वहां की खूबसूरती बिगाड़ने लगे है। आपको बता दें यह गर्तांग गली पर्यटन के लिहाज से बेहद ख़ास है क्यूंकि यह 1962 में भारत-तिब्बत के बीच व्यापार के लिए बनाई गयी थी। जिसे खड़ी चट्टानों को काटकर लकड़ी से निर्मित सीढ़ीदार ट्रैक के रूप में तैयार किया गया था।
हम आपसे अपील करते है कि यदि आप किसी भी असामाजिक तत्व को इस तरह अपनी धरोहर या फिर पर्यटन स्थल पर बड़े बड़े काले अक्षरों में नाम लिख कर या गन्दगी फैलाते अपने सामने देखते हैं तो उन्हें जरूर टोके ताकि किसी भी पर्यटन स्थल की खूबसूरती न बिगड़े और वहां के पर्यटन की सुंदरता बनी रहे।
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