तान्या रावत
भारत और नेपाल यूं तो दो अलग देश हैं मगर इन दोनों देशों के बीच एक ऐसा गांव है जो आधा भारत में आता है और आधा नेपाल में। विश्व में शायद ही ऐसा कोई गांव होगा जो आधा एक देश में आता है और आधा दूसरे देश में। लेकिन भारत के उत्तराखण्ड राज्य में एक ऐसा गांव है, "धारचुला" जो दोनों देश की सीमा में बसा हुआ है। आपको बता दें कि ये गांव बहुत ही पुराना है, जिस समय भारत और नेपाल के बीच कोई सीमा नहीं हुआ करती थी। बाद में जब भारत का बॉर्डर तय हुआ तो दार्चुला नेपाल का हिस्सा बन गया और धारचुला भारत का हिस्सा मना गया। वहीं, इन दोनों जगहों के बीच से एक नदी गुजर रही है, जो कि दोनों देश को आपस में जोड़ती है। जिसे हम काली नदी के नाम से जानते हैं। यहां किसी भी शख्स को एक देश से दूसरे देश में जाने के लिए कोई प्रतिबंध नहीं है और न ही किसी को कोई पासपोर्ट या कोई वीजा की जरूरत पड़ती है, बस उन्हें ये काली नदी पार करनी होती है।
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आपको बता दें कि धारचूला, उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ जिले से करीब 90 किलोमीटर की दूरी पर बसा हुआ है। समुद्र तल से 915 मीटर की ऊंचाई पर स्थित धारचुला हिमालयी चोटियों से घिरा हुआ है। यहां आपको बड़े शॉपिंग सेंटर, सिनेमाघर इत्यादि भले ही न देखने को मिलें मगर यहां आपको प्रकृति के अद्भुत नज़ारे खूब दिखेंगे, जो आपका पलभर में मन मोह लेंगे। चलिए आपको हिमालयी पर्वतों से घिरे धारचूला के नाम के पीछे का मतलब बताते है। धारचुला काली नदी के किनारे घाटी में बसा हुआ है। यह धार यानि कि पहाड़ी और चूला यानि चूल्हा। धारचुला इन दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है। जिसका आकार चूल्हे के जैसा दिखता है, जिस वजह इस गांव को धारचूला कहते हैं।
धारचूला का इतिहास
एक समय में धारचूला एक बड़ा व्यापारिक केंद्र था। यहां के लोग तिब्बत के साथ बड़ी मात्रा में भोजन और कपड़ों का व्यापार करते थे। लेकिन साल 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध के बाद तिब्बतियों के साथ सभी व्यापार संबंध बंद हो गए थे। जिस वजह से धारचुला के लोगों को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था।
उम्मीद है आपको धारचुला के बारे में ये जानकारी पसंद आई होगी।