उत्तर नारी डेस्क
भगवान राम के 14 साल बाद वनवास पूरा कर अयोध्या पहुंचने की खुशी में द्वीप प्रज्वलित कर दीपावली मनाई जाती है।
उत्तराखण्ड मे इगास जो की एकादशी को कहते है। दीपावली से 11 दिन बाद आती है। पहाड़ मे दीपावली को आम भाषा मे इगास बग्वाल कहा जाता है। इस बीच यहाँ भैलो खेल खेला जाता है। जिसे स्थानीय भाषा में इगास बग्वाल कहा जाता है। इसमें दीयों और पटाखों की जगह पर भैला खेला जाता है, जो कि गढ़वाल क्षेत्र में देवदार के पेड़ों की टहनियों को जलाकर और आतिशबाजी / फुलझड़ी पटाखे की तरह घुमाकर बूढी दिवाली के रूप में मनाई जाती है।
पौराणिक मान्यता है, कि भगवान राम के बनवास के बाद अयोध्या पहुंचने पर लोगों ने दिये जलाकर उनका स्वागत किया और उसे दीपावली के त्योहार के रूप में मनाया। लेकिन कहा जाता है कि गढ़वाल क्षेत्र में भगवान राम के पहुंचने की खबर दीपवाली के ग्यारह दिन बाद मिली और इसीलिए ग्रामीणों ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए ग्यारह दिन बाद दीपावली का त्योहार मनाया। जहां इगास बग्वाल के दिन लकड़ी और बेल से भैला बनाया जाता है और स्थानीय देवी देवताओं की पूजा अर्चना के बाद भैला जलाकर और ढोल नगाड़ों के साथ आग के चारों ओर लोकनृत्य किया जाता है।
यह भी पढ़ें - जीका वायरस : उत्तराखण्ड में स्वास्थ्य विभाग का अलर्ट जारी, बिना डॉक्टरी सलाह के कोई भी दवा न लें
वहीं दूसरी, सबसे प्रचलित मान्यता के अनुसार गढ़वाल के वीर भड़ माधो सिंह भंडारी टिहरी के राजा महीपति शाह की सेना के सेनापति थे। करीब 400 साल पहले राजा ने माधो सिंह को सेना लेकर तिब्बत से युद्ध करने के लिए भेजा। इसी बीच बग्वाल (दीपावली) का त्यौहार भी था, परन्तु इस त्यौहार तक कोई भी सैनिक वापिस ना आ सका। सबने सोचा माधो सिंह और उनके सैनिक युद्ध में शहीद हो गए, इसलिए किसी ने भी दीपावली (बग्वाल) नहीं मनाई. परन्तु दीपावली के ठीक 11वें दिन माधो सिंह भंडारी अपने सैनिकों के साथ तिब्बत से दवापाघाट युद्ध जीत वापिस लौट आए। कहा जाता है कि युद्ध जीतने और सैनिकों के घर पहुंचने की खुशी में उस समय दिवाली मनाई थी। उस दिन एकादशी होने के कारण इस पर्व को इगास नाम दिया गया और उसी दिन से गढ़वाल क्षेत्र में दीपावली के 11 दिन बाद इगास पर्व मनाया जाता है।
यह भी पढ़ें - उत्तराखण्ड में दीपावली के ग्यारहवें दिन बाद ही क्यों मनाई जाती है इगास बग्वाल, जानिए इसके पीछे का कारण
उत्तराखण्ड में हो रहे पलायन के कारण अनेक लोक पर्वों को लोग भूल रहे हैं। जिसके कारण गांव खंडहर में तब्दील हो गए हैं और पलायन को लेकर चिंता जताई जा रही है और इसी चिंता को लेकर उत्तराखण्ड से राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने उत्तराखण्ड के लोगों से इगास मनाने का आह्वान किया था। जिस पर अब धीरे धीरे लोग घर जाकर ईगास मना रहे हैं। इस बार 14 नवंबर को इगास पर्व है। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस वर्ष इगास पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है। साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी प्रदेशवासियों को लोकपर्व ईगास बग्वाल की बधाई दी है।
यह भी पढ़ें - उत्तराखण्ड के बेरोजगार युवाओं के लिए खुशखबरी, जल्द जारी होगी पुलिस भर्ती की विज्ञप्ति