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जानें इस दीपावली की पूजा का मुहूर्त व लक्ष्मी-गणेश की पूजा विधि

तान्या रावत 

दीपावली हिन्दुओं का एक प्राचीन त्यौहार है। जिसे सदियों से देशभर में प्रकाश के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। लोगों को हर साल दीपावली के त्यौहार का बेसब्री से इंतजार रहता है। इस साल दीपावली 4 नवंबर के दिन यानी गुरुवार को पड़ रही है। इस पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। वहीं, बच्चे दीपावली की खुशी में तरह-तरह के पटाखे जलाते हैं, आतिशबाजी करते हैं। 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार त्रेतायुग में भगवान श्रीराम लंका के राजा रावण का वध कर 14 वर्ष के बाद इसी दिन अयोध्या लौटे थे। तो तब उनके आगमन की खुशी में समस्त अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। तब से ही दीपावली का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। आइए जानते हैं कि दीपावली तिथि, पूजा मुहूर्त और किस तरह करें मां लक्ष्मी का पूजन। 

दीपावली तिथि और लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त :

मान्यता है कि दीपावली पर मां लक्ष्मी की पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है। विक्रम संवत कैलेंडर के अनुसार दीपावली का पर्व कार्तिक मास के पहले दिन अमावस्या को मनाया जाता है। दीपावली के दिन ऋद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश और मां लक्ष्मी के पूजन का विधान है। इसके साथ ही इस दिन धन के देवता कुबेर, मां सरस्वती और मां काली का भी पूजन किया जाता है। इस साल दीपावली 4 नवंबर गुरुवार को मनाई जाएगी। दिवाली 2021 अश्विन (7वें महीने) की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी (28वें दिन) से शुरू होती है और कार्तिक (8वें महीने) की शुक्ल पक्ष द्वितीया (दूसरा दिन) को समाप्त होती है। दीपावली पूजा करने का सबसे शुभ समय सूरज के डूबने के बाद का माना जाता है। इस बार लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त एक घंटे 55 मिनट की अवधि के लिए रहेगा। ये शाम 06 बजकर 09 मिनट से रात 08 बजकर 20 मिनट तक चलेगा। 

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दीपावली पूजा की विधि

- दीपावली की सफाई बहुत जरूरी है। अपने घर के हर कोने को साफ करने के बाद गंगाजल छिड़कें। 

- लकड़ी की चौकी पर लाल सूती कपड़ा बिछाएं। बीच में मुट्ठी भर अनाज रखें। 

-कलश (चांदी/कांस्य का बर्तन) को अनाज के बीच में रखें। 

- कलश में 75% पानी भरकर एक सुपारी (सुपारी), गेंदे का फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने डाल दें। 

- कलश पर 5 आम के पत्ते गोलाकार आकार में रखें। 

- केंद्र में देवी लक्ष्मी की मूर्ति और कलश के दाहिनी ओर (दक्षिण-पश्चिम दिशा) में भगवान गणेश की मूर्ति रखें। 

- एक छोटी थाली लें और चावल के दानों का एक छोटा सा पहाड़ बनाएं, हल्दी से कमल का फूल बनाएं, कुछ सिक्के डालें और मूर्ति के सामने रखें। 

- अब अपने व्यापार/लेखा पुस्तक और अन्य धन/व्यवसाय से संबंधित वस्तुओं को मूर्ति के सामने रखें। 

- अब देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश को तिलक करें और दीपक जलाएं। कलश पर भी तिलक लगाएं। 

- अब भगवान गणेश और लक्ष्मी को फूल चढ़ाएं। पूजा के लिए अपनी हथेली में कुछ फूल रखें। 

- अपनी आंखें बंद करें और दिवाली पूजा मंत्र का पाठ करें। 

- हथेली में रखे फूल को भगवान गणेश और लक्ष्मी जी को चढ़ा दें।

-लक्ष्मी जी की मूर्ति लें और उसे पानी से स्नान कराएं और उसके बाद पंचामृत से स्नान कराएं। 

- इसे फिर से पानी से स्नान कराएं, एक साफ कपड़े से पोछें और वापस रख दें। 

-मूर्ति पर हल्दी, कुमकुम और चावल डालें। माला को देवी के गले में लगाएं। अगरबत्ती जलाएं। 

- नारियल, सुपारी, पान का पत्ता माता को अर्पित करें। 

- देवी की मूर्ति के सामने कुछ फूल और सिक्के रखें। 

- थाली में दीया लें, पूजा की घंटी बजाएं और लक्ष्मी जी की आरती करें।

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