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कोटद्वार : रोहिणी ने बढ़ाया उत्तराखण्ड का मान, भाभा परमाणु अनुसंधान में बनीं वैज्ञानिक अधिकारी

उत्तर नारी डेस्क

उत्तराखण्ड के कोटद्वार जिले से एक गौरान्वित करने वाली ख़बर सामने आयी है। जहां पहाड़ की बेटी रोहिणी अग्रवाल ने भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र मुम्बई में साइंटिफिक ऑफिसर बन कोटद्वार क्षेत्र का नाम रोशन किया है। 

आपको बता दें, रोहिणी ने एक नवंबर को पदभार ग्रहण किया है। इससे पहले उन्होंने ग्यारह माह तक कलपक्कम तमिलनाडु में स्थित इन्दिरा गांधी परमाणु संयत्र संस्थान में प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इससे पूर्व वह आईआईटी मुम्बई में रसायन विज्ञान में शोध कर रही थी। उनकी इस सफलता से पूरे क्षेत्र में खुशी का माहौल है।

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बताते चलें रोहिणी अग्रवाल भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र मुंबई में वैज्ञानिक अधिकारी के पद पर नियुक्त हुई है। वह कोटद्वार के जौनपुर मोहल्ले की निवासी है। उन्होंने हाई स्कूल की परीक्षा सिमलचौड़ स्थित टीसीजी पब्लिक स्कूल से 10 सीजीपीए के साथ पास की और इण्टरमीडिएट की परीक्षा बलभद्रपुर स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल से 98 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीण की। रोहिणी अग्रवाल ने बीएससी ऑनर्स रसायन विज्ञान करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध कॉलेज मिरांडा हाऊस से टॉप किया। रोहिणी अग्रवाल ने एमएससी रसायन विज्ञान में आईआईटी दिल्ली से करने के बाद उत्तराखण्ड सेट एवं यूजीसी नेट जेआरएफ परीक्षा उच्च अंकों के साथ उत्तीर्ण की तथा प्रधानमंत्री नेशनल रिसर्च फैलोशिप प्राप्त करने में सफल हुई है। 

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रोहिणी अग्रवाल के पिता डा. विजय कुमार अग्रवाल वर्तमान में राजकीय महाविद्यालय कोटद्वार भाबर के प्राचार्य पद पर सेवारत हैं, मां शशि अग्रवाल गृहणी हैं, तीन भाई बहनों में रोहिणी बीच की हैं। बड़ी बहन सलोनी बीटेक एवं एमबीए करने के बाद बैंगलुरु में एक कंपनी में सेवारत है, जबकि छोटा भाई अनुग्रह अग्रवाल चार्टेड अकाउंटेंट की पढ़ाई कर रहा है। 

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भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र 

भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र मुम्बई में स्थित है। यह भारत सरकार के परमाणु उर्जा विभाग के अन्तर्गत नाभिकिय विज्ञान एवं अभियांत्रिकी एवं अन्य संबन्धित क्षेत्रों का बहु-विषयी नाभीकीय अनुसंधान केन्द्र है।

भारत का परमाणु कार्यक्रम डा॰ होमी जहांगीर भाभा के नेतृत्व में आरम्भ हुआ था। 6 जनवरी सन् 1954 को परमाणु उर्जा आयोग के द्वारा परमाणु उर्जा संस्थान (ए ई ई टी) के नाम से आरम्भ हुआ और तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा २० जनवरी सन् 1957, को राष्ट्र को समर्पित किया गया। इसके बाद परमाणु उर्जा संस्थान को पुनर्निर्मित कर 12 जनवरी सन् 1967 को इसका नया नाम भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र किया गया, जो कि 24 जनवरी सन् 1966 में डा॰ भाभा की विमान दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु के लिये एक विनम्र श्रद्धांजलि थी।

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