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पद्म श्री से सम्मानित आकाशवाणी की पहली महिला म्यूज़िक कम्पोज़र डॉ. माधुरी बड़थ्वाल के बारे में जानें

शीतल बहुखण्डी 

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई थी। जिसके मुताबिक आज पद्म पुरस्कारों में चार लोगों को पद्म विभूषण, 17 लोगों को पद्मभूषण और 107 लोगों को पद्मश्री पुरस्कार दिया गया है। वहीं पद्मश्री पुरस्कार पाने वालों में उत्तराखण्ड की 3 महिलाएं भी शामिल हैं। जिनमें उत्तराखण्ड से डॉ. माधुरी बर्थवाल को कला के लिए, बसंती देवी को सामाजिक कार्य के लिए और वंदना कटारिया को खेलों के लिए पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया है।

आपको बता दें डॉ. माधुरी बर्थवाल उत्तराखण्ड के लोक संगीत के संरक्षण और प्रचार के लिए वर्षों से निरंतर कार्य कर रहीं है। इसी क्रम में आज गणतंत्र दिवस के मौके पर डॉ.  माधुरी बड़थ्वाल को पद्मश्री से नवाजा गया है। केंद्र सरकार की ओर से उन्हें पदम सम्मान के लिए चुना गया।

उत्तराखण्ड के पौड़ी जिले की रहने वाली हैं डॉ. माधुरी बर्थवाल

मूल रूप से पौड़ी जिले के यमकेश्वर के चाय दमराड़ा निवासी डा. माधुरी बड़थ्वाल वर्तमान में देहरादून के बालावाला में रहती हैं। उनके पिता चंद्रमणि उनियाल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, ऐसे में उनकी प्रारंभिक शिक्षा लैंसडौन में ही हुई है। बचपन से ही संगीत से लगाव रखने वाली माधुरी ने 1969 में राजकीय इंटर कालेज लैंसडौन से हाईस्कूल करने के बाद इसी स्कूल में 1979 तक उन्होंने लैंसडाउन कोटद्वार में संगीत अध्यापिका के तौर पर सेवा दी। उनके नाम राज्य की पहली गढ़वाली महिला संगीत अध्यापिका और गाइड कैप्टन होने की भी उपलब्धि है। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद संगीत समिति से संगीत का प्रशिक्षण लिया। उन्होंने आगे की पढ़ाई प्राइवेट से जारी रखी। आगरा यूनिवर्सिटी से संगीत में डिग्री, रुहेलखंडी यूनिवर्सिटी से हिंदी से एमए करने के बाद वर्ष 2007 में उन्होंने केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। जहां उन्होंने गढ़वाली लोकगीतों में राग रागनियां विषय पर शोध किया।

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वहीं 1979 से 2010 तक सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत वह आकाशवाणी नजीबाबाद में संगीत संयोजिका व निर्देशिका के पद पर अखिल भारतीय स्तर पर भारत की पहली महिला चयनित आकाशवाणी स्वर परीक्षा समिति की सदस्य भी रहीं। उन्होंने उतर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र पटियाला में गुरु शिष्य परंपरा के तहत गुरु पद पर काम किया। संस्कृति विभाग, सूचना विभाग और गीत नाट्य अकादमी भारत सरकार की शाखा दून और विवि की क्षेत्रीय परीक्षा समितियों में संगीत व नाट्य कला विशेषज्ञ, युवाओं व महिलाओं को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में निशुल्क संगीत प्रक्षिशण दिया।

आल इंडिया रेडियो नबीबाजाद में पहली महिला संगीतकार रहीं डा. माधुरी बड़थ्वाल 

डॉ. माधुरी बड़थ्वाल आल इंडिया रेडियो नबीबाजाद में पहली महिला संगीतकार रहीं हैं। यहीं से उन्होंने लोक संगीत के संरक्षण को प्रयास शुरू किए। आज महिलाओं को गायन, वादन में प्रेरित करने के साथ ही प्रशिक्षण भी दे रहीं हैं। साथ ही महिलाओं को पारंपरिक नृत्य, वादन व गायन से जोड़ने की अभिनव पहल भी उनके द्वारा की गयी है। उनके इन्हीं प्रयासों से आज विलुप्त हो रही मांगल जैसी पारंपरिक कलाओं को संरक्षण मिला है।

डा. माधुरी बड़थ्वाल ने सम्मान किए हासिल

इसके अलावा 2016 में उन्हें नारी शक्ति पुरस्कार, 2016 राष्ट्रपति सम्मान, 2014 में उत्तराखण्ड रत्न, 2018 में उत्तराखण्ड भूषण, स्व. मोहन उप्रेती लोक संस्कृति कला सम्मान से भी सम्मानित किया गया है और आज उन्हें लोक संगीत के संरक्षण और प्रचार के लिए वर्षों से निरंतर कार्य करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से पदम सम्मान भी दिया गया है।

लॉक डाउन के दौरान डा. माधुरी बड़थ्वाल ने लिखी पांच किताबें 

डॉ. माधुरी बड़थ्वाल कहती हैं कि उन्होंने लॉक डाउन के दौरान पांच किताबें लिखी हैं। इन किताबों को लिखने का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को नृत्य, गायन और वादन सिखाना था। उन्होंने गढ़वाल के नृत्य प्रधान लोकगीत थड़िया, चौफुला, ऋतु प्रधान और संस्कार लोक गीत को पुस्तकों में लिपिबद्ध किया है। 

कई महिलाओं की प्रेरणास्रोत हैं डा. माधुरी बड़थ्वाल

डॉ.  माधुरी बड़थ्वाल बताती हैं कि स्कूल के दिनों से ही उन्हें संगीत से बड़ा लगाव था, लेकिन उस समय लोग लड़कियों का गाना बजाना बुरा मानते थे। इसके बाद उन्होंने मन बना लिया कि वह इसी क्षेत्र में आगे जाएँगी और महिलाओं को संगीत में आगे बढ़ाने के लिए खुद से प्रयास करेंगी। जिसके लिए उन्होंने पढ़ाई जारी रखने के साथ ही खाली वक्त में आकाशवाणी नजीबाबाद के लिए भी संगीत का कार्य किया। यहां से प्रसारित होने वाले 'धरोहर' के माध्यम से उन्होंने लोकगाथा, गीत, संगीत का प्रचार किया। आज वह महिलाओं को गायन, वादन में प्रेरित करने के साथ ही प्रशिक्षण भी दे रहीं हैं। 

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