उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड के विधानसभा चुनाव 2022 में अब कुछ ही महीने रह गए हैं। इसके चलते सत्तारूढ़ भाजपा समेत सभी दलों ने अपनी रणनीति बनाने की तैयारियां तेज कर दी हैं। वहीं, दूसरी तरफ यह उम्मीद लगाई जा रही है कि जनवरी के दूसरे हफ्ते में भाजपा प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करेगा। जिसके लिए पार्टी ने उम्मीदवार चयन को लेकर कार्य आरंभ कर दिया है। लेकिन पार्टी में टिकट बंटवारे से पहले ही नेताओं के बगावती तेवर दिखने लगे हैं। जिसका कारण एक बार फिर मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत हैं। बता दें कि अपने बयानों को लेकर सुर्ख़ियों में रहने वाले मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत एक बार फिर चर्चा में बने हुए है। इस बार वो किसी बयान को लेकर नहीं बल्कि विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर चर्चा में हैं। सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि इस बार मंत्री हरक सिंह रावत कोटद्वार से विधान सभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। बल्कि यमकेश्वर, लैंसडाउन, केदारनाथ और डोईवाला से विधान सभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। जिसके लिए उन्होंने भाजपा संगठन के सामने इन विधानसभा क्षेत्रों का विकल्प रखा हैं। वैसे मंत्री हरक सिंह रावत का रिकॉर्ड रहा है कि जिस विधानसभा से वह एक बार चुनाव लड़ते हैं उस सीट से वह दूबारा नही लड़ते। जिसके लिए अब उन्होंने कोटद्वार से सटी लैंसडाउन विधानसभा सीट की ओर तांक-झांक शुरू कर दी है। जिसे देखते हुए लैंसडाउन के मौजूदा भारतीय जनता पार्टी के विधायक दिलीप सिंह रावत ने मंत्री हरक सिंह रावत के खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया है।
आपको बता दें कि मंत्री हरक सिंह रावत की लैंसडाउन विधानसभा सीट पर नजर होने कारण लैंसडाउन के मौजूदा भारतीय जनता पार्टी के विधायक दिलीप सिंह रावत और हरक के बीच रार छिड़ गई है। जिस वजह से भाजपा में असहज की स्थिति आ गई है। लैंसडाउन विधायक ने तो हरक सिंह पर अपने विधानसभा क्षेत्र लैंसडाउन के लिए स्वीकृत कार्यों में अड़चन डालने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को चिट्ठी भेजकर सरकार को चेताया कि अगर उनके क्षेत्र को नजरअंदाज किया गया तो वे विधानसभा के सामने आमरण अनशन करेंगे।
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बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भेजे पत्र में दिलीप रावत ने कहा कि 12 दिसंबर को मुख्यमंत्री ने नैनीडांडा डिग्री कालेज में आयोजित कार्यक्रम में विद्युत वितरण खंड कार्यालय का लोकार्पण किया। बीस दिन बाद भी आज तक कार्यालय में अधिशासी अभियंता की तैनाती नहीं की गई है। आरोप लगाया कि ऊर्जा मंत्री के दबाव के कारण यह नियुक्ति नहीं हो पा रही। पत्र में वन मंत्री पर आरोप लगाया कि उन्होंने कालागढ़ वन प्रभाग के कार्यालय को कोटद्वार शिफ्ट करने का प्रयास किया, जिसका उन्होंने जनसहयोग से विरोध किया। लेकिन, अब वन मंत्री ने कोटद्वार में कालागढ़ वन प्रभाग का कैंप कार्यालय खुलवा दिया व लैंसडौन स्थित कार्यालय को निष्क्रिय कर दिया।
महंत दिलीप रावत ने यह भी आरोप लगाया कि लैंसडाउन स्थित सेवायोजन कार्यालय को भी शिफ्ट करने का प्रयास किया गया। उनके प्रतिरोध के बाद इस कार्यालय का संचालन जयहरीखाल में शिशु मंदिर के बंद पड़े भवन में हो रहा है। पत्र में विधायक दलीप रावत ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से वार्ता कर उन्होंने मैदावन-दुर्गा देवी वन मार्ग को खुलवाया। लेकिन, राजनीतिक दवाब के कारण इसे खोलने में विलंब किया गया व अब वन मंत्री इस मार्ग को स्वयं की उपलब्धि बता श्रेय लेने की राजनीति कर रहे हैं। पत्र में स्पष्ट कहा गया कि काबीना मंत्री लैंसडाउन क्षेत्र की उपेक्षा कर रहे हैं, जिसे वे बर्दाश्त नहीं करेंगे। चेतावनी देते हुए कहा कि यदि तीन दिन के भीतर लैंसडाउन में कालागढ़ फारेस्ट टाइगर रिजर्व प्रभाग कार्यालय में प्रभागीय वनाधिकारी व नैनीडांडा विद्युत वितरण खंड में अधिशासी अभियंता की तैनाती न की गई तो वे विधानसभा के बाहर आमरण अनशन करेंगे। हालांकि मंत्री हरक सिंह रावत ने लैंसडाउन के विकास कार्यों में अड़चन के बीजेपी विधायक महंत दिलीप रावत के आरोपों को तथ्यों से परे करार दिया है।
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