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उत्तराखण्ड : बजरंगबली का सिद्धपीठ श्री सिद्धबली मंदिर, यहां होती है मनोकामना पूरी

तान्या रावत 

उत्तराखण्ड की भूमि देवभूमि के नाम से प्रसिद्ध है। यहां हजारों मंदिरों की अपनी-अपनी मान्यताएं हैं। ऐसे ही प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है कोटद्वार का श्री सिद्धबली मंदिर। श्री सिद्धबली मंदिर उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल जिले के कोटद्वार में खो नदी के तट पर स्थित महाबली हनुमान जी महाराज का एक प्रसिद्ध मंदिर है। जो खो नदी के किनारे पर करीब 40 मीटर ऊंचे टीले पर स्थित है। हनुमान जी महाराज के दर्शन करने के लिए मंदिर की 150 से अधिक सीढ़ियों का सफर तय करने के बाद भक्त मंदिर में पहुंचते हैं। मान्यता है सिद्धबली मंदिर के द्वार से कभी कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटता है। यदि आपकी भी कोई इच्छा अधूरी है तो एक बार सिद्धबली मंदिर की यात्रा करने का ख्याल जरूर बनाएं।

सिद्धबली मंदिर की मान्यताः 

श्री सिद्धबली मंदिर कोटद्वार बजरंगबली का एक प्राचीन सिद्धपीठ मंदिर है। सिद्धबली मंदिर की स्थापना के बारे में माना जाता है कि इस स्थान पर एक सिद्ध पुरुष को तपस्या करने के बाद हनुमान जी की सिद्धि प्राप्त हुई थी। तब उस सिद्ध पुरुष ने हनुमान जी महाराज की एक विशाल मूर्ति की स्थापना की थी। तभी से इस जगह का नाम सिद्धबली पड़ गया। माना तो यह भी जाता है कि ब्रिटिश शासन काल में एक मुस्लिम ऑफिसर इसी जगह से घोड़े पर सवार गुजर रहे थे। तब वह अचानक से वहां बेहोश हो गए तभी उन्हें सपने में आया कि सिद्धबली बाबा की समाधि के पास एक मंदिर बनाया जाए। जब वह होश में आये तो उन्होंने आसपास के लोगों को अपने सपने के बारे में बताया। जिसके बाद यह मंदिर यहां लोगों की मदद से बनाया गया। 

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कोटद्वार शहर को गढ़वाल का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। कोटद्वार शहर से लगभग 2.4 किलोमीटर की दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग कोटद्वार-पौड़ी पर यह प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। पौराणिकता और शक्ति की महत्वता के कारण इसे भव्यता प्रदान कर दी है। राजमार्ग से मंदिर तक पहुंचने के लिए खो नदी पर पुल बना हुआ है, इस पुल को पार करने पर मंदिर का द्वार बना हुआ है, जहां से लोग दर्शन के लिए जाते हैं। मंदिर के द्वार के आसपास प्रसाद व चाय नाश्ते की दुकाने हैं। कुछ समय पहले ही मंदिर के पास एक धर्मशाला भी बनाई गई है। मंदिर के बाहर पार्किंग की भी व्यवस्था है। यहां प्रतिवर्ष दिसम्बर माह में पौष संक्रान्ति को श्री सिद्धबाबा का तीन दिवसीय विशाल मेला का भी आयोजन किया जाता है जिसमें सभी धर्मों के लोग भाग लेते हैं। यह मंदिर न केवल हिंदू-सिख धर्मावलंबियों का है अपितु मुसलमान भी यहां मन्नत मांगने आते हैं। मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालु दक्षिणा तो देते ही हैं, बल्कि यहां भंडारा भी आयोजित करते हैं। सिद्धबली बाबा के मंदिर में भंडारा की परंपरा बहुत पहले से चली आ रही है। दरअसल यहां से कोई भक्त आज तक कभी खाली हाथ नहीं लौटा है। इसलिए भक्तों की संख्या इतनी ज्यादा है कि यहां होने वाले विशेष भंडारों की बुकिंग फिलहाल 2025 तक के लिए पूरी हो गई है।

बता दें, पहले यह मंदिर ज्यादा बड़ा नहीं था, मगर धीरे-धीरे श्रद्धालुओं के सहयोग से यह मंदिर भव्य हो गया है। सिद्धबली बाबा मंदिर भक्तों के दर्शन और पूजा अर्चना के लिए सुबह 5 बजे से दोपहर के 2 बजे तक खुला रहता है। सिद्धबली बाबा मंदिर में सुबह की आरती प्रातः 5 बजे और शाम की आरती 6:30 बजे होती है। सिद्धबली मंदिर के बरामंदे का नजारा बहुत आकर्षित और देखने लायक है। यहां जाकर आपको एक छोटी नदी प्रवाहित होते हुए दिखेगी और साथ ही कोटद्वार शहर का सुंदर नजारा देखने को मिलेगा। 


कैसे पहुंचे सिद्धबली धाम: 

सिद्धबली धाम कोटद्वार से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां सड़क के माध्यम से या गाड़ी की मदद से पहुंचा जा सकता है। अगर आप ट्रेन से सिद्धबली मंदिर आना चाहते हैं तो पास में ही कोटद्वार का रेलवे स्टेशन है। जो लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर है। आप कोटद्वार से टैक्सी पकड़कर सिद्धबली मंदिर आसानी से जा सकते हैं।

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