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उत्तराखण्ड : UKDD के रोहित डंडरियाल की बोर्ड परीक्षा के समय में संशोधन की मांग, पढ़े पूरा मामला

उत्तर नारी डेस्क 

उत्तराखण्ड शिक्षा विभाग ने 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं की तारीखों की घोषणा कर दी है। जिसके अनुसार विद्यालयी शिक्षा परिषद्, रामनगर (नैनीताल) द्वारा संचालित हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट 2022 की लिखित परीक्षाएं 28 मार्च 2022 से प्रारंभ होगी और 19 अप्रैल 2022 तक चलेगी। हाईस्कूल की परीक्षा सुबह 8 से 11 बजे के बीच होगी और इंटर की परीक्षाएं दोपहर की पाली में 2 से 5 बजे के बीच आयोजित किये जाएंगे। गौरतलब है कि उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों की भौगोलिक एवं सामाजिक स्थिति विपरीत है जिसके कारण वहाँ से परीक्षा में प्रतिभाग करने वाले विद्यार्थियों को पहले ही कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आज भी उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में कई ऐसे परीक्षा केंद्र हैं जहाँ परीक्षार्थियों को केंद्र में पहुंचने के लिए कई दुर्गम मार्गों से घण्टों का सफर तय करके आना होता है, उसके बाद भी यातायात की उचित सुविधा न होने पर यह स्थिति अत्यंत विकट हो जाती है जिससे पैदल आने वाले विद्यार्थियों के लिए जंगली जानवरों आदि का खतरा काफी बढ़ जाता है। जिसके देखते हुए उत्तराखण्ड क्रांति दल डेमोक्रेटिक पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता व सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रोहित डंडरियाल ने उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा सचिव व निदेशक माध्यमिक शिक्षा को पत्र लिख बोर्ड परीक्षा 2022 की परीक्षाओं के समय में संशोधन करने की मांग की है। 

बता दें, रोहित डंडरियाल ने अपने पत्र में लिखा, आगामी हाईस्कूल एवं इंटर की बोर्ड परीक्षाओं में परीक्षाओं को दो पालियों में विभक्त किया गया है जिसमें पहली पाली का समय प्रातः 8 बजे से 11 बजे व दूसरी पाली का समय अपराह्न 2 बजे से 5 बजे तक का दिया गया है। किंतु महोदय यह सर्वविदित है कि उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों की भौगोलिक एवं सामाजिक स्थिति विपरीत है जिसके कारण वहाँ से परीक्षा में प्रतिभाग करने वाले विद्यार्थियों को पहले ही कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। महोदय हमारे समक्ष अभी भी उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में कई ऐसे परीक्षा केंद्र हैं जहाँ परीक्षार्थियों को केंद्र में पहुंचने के लिए कई दुर्गम मार्गों से घण्टों का सफर तय करके आना होता है, उसके बाद भी यातायात की उचित सुविधा न होने पर यह स्थिति अत्यंत विकट हो जाती है जिससे पैदल आने वाले विद्यार्थियों के लिए जंगली जानवरों आदि का खतरा काफी बढ़ जाता है जिसे हम आय दिन समाचारों में भी कई दुर्घटनाओं के रूप में देखते आ रहे हैं।

ऐसी परिस्थिति परीक्षा के समय को सुबह 8 बजे ही रख देना अथवा शाम को 5 बजे तक परीक्षा करवाना न सिर्फ़ तर्क से बाहर है अपितु बहुत खतरनाक भी है। हम सभी को ज्ञात है कि शाम के समय में पर्वतीय क्षेत्रों में यातायात के साधन लगभग शून्य हो जाते हैं ऐसे में बच्चों को दूर दराज़ के अपने गाँव में अपनी जान की बाजी लगाकर पैदल जाने मजबूर करना अमानवीय प्रतीत होता है। जिसको ध्यान में रखते हुए आप शीघ्र अति शीघ्र समस्त परीक्षार्थियों के जीवन हित को ध्यान में रखते हुए परीक्षा का समय पूर्व की भांति ही रखा जाए जिससे कि विद्यार्थी समय पर अपनी परीक्षा पूर्ण करके सुरक्षित अपने घरों को पहुच सकें, अन्यथा हम कई दुर्घटनाओं को सामने खड़ा देख सकते हैं।

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