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उत्तराखण्ड : SC भोजनमाता के हाथों से बना खाना खाने से बच्चों ने किया इनकार

उत्तर नारी डेस्क 

उत्तराखण्ड में चंपावत जिले के सुखीढांग गांव के इंटर कालेज में भोजन पकाने को लेकर उपजा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। पहले भी अनुसूचित जाति की भोजनमाता के हाथों बना खाना सवर्ण बच्चों ने बंद कर दिया था। अब एक बार फिर से यह विवाद शुरू हो गया है। जीआईसी स्कूल के छठीं से आठवीं कक्षा के सात से दस बच्चों ने भोजन खाने से इनकार कर दिया है, क्योंकि भोजन बनाने का काम जिस भोजन माता को सौंपा गया, वह अनुसूचित जाति की है। आरोप है कि सवर्ण जाति के ये बच्चे जातिगत कारणों से भोजन का बहिष्कार कर रहे हैं।

जानकारी के अनुसार, स्कूल प्रशासन ने इन बच्चों को चेतावनी देते हुए इनकी टीसी (स्थानांतरण प्रमाणपत्र) भी काटी है। हालांकि, इस मामले को सुलझाने के लिए प्रधानाचार्य प्रेम सिंह ने गुरुवार को अभिभावकों के साथ बैठक की, लेकिन बैठक में कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। बताया जा रहा है कि इस हफ्ते के पहले चार दिनों में सात से दस सवर्ण बच्चों ने भोजन करने से इन्कार कर दिया। वहीं, प्रधानाचार्य और कुछ शिक्षकों ने बच्चों को समझाने की बहुत कोशिश की मगर बच्चों ने घरेलू कारणों की दलील देकर अपनी बात पर अड़े रहे और खाने का बहिष्कार किया। इसलिए फिलहाल स्कूल प्रशासन ने छात्रों को अभिभावकों के आने और भोजन न करने तक स्कूल आने से रोक लगा दी है। गुरुवार को हुई बैठक में अभिभावकों ने भोजन न करने की वजह जातिगत न बताते हुए निजी बताया है। गौरतलब है कि स्कूल में दो सवर्ण और एक दलित भोजनमाता है। 

बता दें, स्कूल के प्रधानाचार्य ने बताया कि कुछ दिनों से सात से दस बच्चे अनुसूचित जाति की भोजनमाता के हाथ का बना खाना नहीं खा रहे हैं जबकि दूसरी भोजनमाता के हाथों से बनाया खाना ये बच्चे खाते रहे हैं। यह स्थिति न स्कूल के नियमों के अनुकूल है और न ही सामाजिक सौहार्द्र के हिसाब से ठीक है। बृहस्पतिवार को अभिभावकों की बैठक बुलाई गई थी लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। किसी भी बच्चे का नाम नहीं काटा गया है। चेतावनी देने के लिए कुछ बच्चों को टीसी दी गई थी। पूरे मामले की जानकारी विभागीय उच्चाधिकारियों को दे दी गई है।

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