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आज का पंचांग और राशिफल - भागवताचार्य आयुर्वेद रत्न, ज्योतिषाचार्य राजेन्द्र प्रसाद बेबनी के साथ

पंडित राजेन्द्र प्रसाद बेबनी


दिनांक :-01-सितम्बर-2022

वार:-----गुरुवार

▪️ सूर्य ----दक्षिण--याम्यायने--वर्षार्तु:

तिथी :-----05पंचमी:-14:49

पक्ष :-----शुक्लपक्ष

माह: ------भाद्रपद १६(16   )प्रविष्टे गते

नक्षत्र :-----स्वाती:-24:11

योग:-------ब्रह्म:-21:10

करण:-------बालव:-14:49

१▪️सूर्य --------सिंह

२▪️चन्द्रमा:-------तुला

३▪️मंगल --------वृष

४▪️ बुध ----------कन्या

५▪️ गुरु -----------मीन

६▪️ शुक्र -----------कर्क

७▪️ शनि ------मकर

८▪️राहू ---------मेष

९▪️ केतु -----तुला

सुर्योदय:-----06:21

सुर्यास्त:-----18:55

दिशा शुल-----दक्षिण

निवारण उपाय:---राई का सेवन

ऋतु :------शरद-ऋतु 

गुलीक काल:---09:28से 11:03

राहू काल:------14:11से15:46

अभीजित------11:52से12:52

विक्रम सम्वंत  .........2079

शक सम्वंत ............1944

युगाब्द ..................5124

सम्वंत सर नाम:------नल

      🌞चोघङिया दिन🌞

शुभ:-06:21से07:55तक

चंचल:-11:03से12:38तक

लाभ:-12:38से14:12तक

अमृत:-14:12से15:46तक

शुभ:-17:20से18:55तक

      🌓चोघङिया रात🌗

अमृत:-18:55से20:20तक

चंचल:-20:20से21:46तक

लाभ:-00:38से02:04तक

शुभ:-03:30से04:56तक

अमृत:-04:56से06:22तक

     आज के विशेष योग

 वर्ष का152वा दिन,  ऋषि पंचमी ललिता स्कन्द षष्ठी, भाई-पाचं रक्षा पंचमी गुरु पंचमी, मेला पाट प्रारंभ (3दिन काश्मीर),  दग्धयोग 14:49से सूर्योदय, रवियोग प्रारंभ 24:11, जैन सम्वत्सरी (पंचमी पक्ष), मेला गढ़ गणेश (जयपुर),

    🏡वास्तु  टिप्स🏢🏡

महिलाएं ऋषि पंचमी का व्रत अवश्य रखे।

    सुविचार

गीताजी का अर्थसहित, भावसहित अवश्य ही मनन करना चाहिये।

    💊💉आरोग्य उपाय🌿🍃

हल्दी मौसमी रोगों में फायदेमंद -

चोट लगे तो हल्दी आजमाएं -

यदि किसी कारण से शरीर के बाहरी या अंदरूनी हिस्से में चोट लग जाए, तो प्रभावित व्यक्ति को हल्दी वाला दूध पिलाएं। यह अपने एंटी बैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुणों के कारण बैक्टीरिया को पनपने नहीं देता।

डायबिटीज में लाभकारी -

हल्दी डायबिटीज के रोगियों के लिए लाभकारी है। इसके लिए हल्दी को  एक चम्मच आंवले के रस, एक चम्मच शहद और एक चम्मच गिलोय के रस के साथ मिलाकर पिएं।

⚜ तिथि विशेष (व्रत/पर्व) -

ऋषि पंचमी -

ऋषि पञ्चमी का व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पंचमी को सम्पादित होता है। प्रथमत: यह सभी वर्णों के पुरुषों के लिए प्रतिपादित था, किन्तु अब यह अधिकांश में नारियों द्वारा किया जाता है। हेमाद्रि ने ब्रह्माण्ड पुराण को उद्धृत कर विशद विवरण उपस्थित किया है। व्यक्ति को नदी आदि में स्नान करने तथा आह्लिक कृत्य करने के उपरान्त अग्निहोत्रशाला में जाना चाहिए, सातों ऋषियों की प्रतिमाओं को पंचामृत में नहलाना चाहिए, उन पर चन्दन लेप, कपूर लगाना चाहिए, पुष्पों, सुगन्धित पदार्थों, धूप, दीप, श्वेत वस्त्रों, यज्ञोपवीतों, अधिक मात्रा में नैवेद्य से पूजा करनी चाहिए और मन्त्रों के साथ अर्ध्य चढ़ाना चाहिएं

यह व्रत कैसे करें :-

प्रातः नदी आदि पर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।

तत्पश्चात घर में ही किसी पवित्र स्थान पर पृथ्वी को शुद्ध करके हल्दी से चौकोर मंडल (चौक पूरें) बनाएं। फिर उस पर सप्त ऋषियों की स्थापना करें।

इसके बाद गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से सप्तर्षियों का पूजन करें

तत्पश्चात निम्न मंत्र से अर्घ्य दें-

कश्यपोऽत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोऽथ गौतमः।

जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः॥

दहन्तु पापं मे सर्वं गृह्नणन्त्वर्घ्यं नमो नमः॥

अब व्रत कथा सुनकर आरती कर प्रसाद वितरित करें।

तदुपरांत अकृष्ट (बिना बोई हुई) पृथ्वी में पैदा हुए शाकादि का आहार लें।

इस प्रकार सात वर्ष तक व्रत करके आठवें वर्ष में सप्त ऋषियों की सोने की सात मूर्तियां बनवाएं।

तत्पश्चात कलश स्थापन करके यथाविधि पूजन करें।

अंत में सात गोदान तथा सात युग्मक-ब्राह्मण को भोजन करा कर उनका विसर्जन करें।


📜 ऋषि पंचमी की व्रतकथा -

विदर्भ देश में उत्तंक नामक एक सदाचारी ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी बड़ी पतिव्रता थी, जिसका नाम सुशीला था। उस ब्राह्मण के एक पुत्र तथा एक पुत्री दो संतान थी। विवाह योग्य होने पर उसने समान कुलशील वर के साथ कन्या का विवाह कर दिया। दैवयोग से कुछ दिनों बाद वह विधवा हो गई। दुखी ब्राह्मण दम्पति कन्या सहित गंगा तट पर कुटिया बनाकर रहने लगे।एक दिन ब्राह्मण कन्या सो रही थी कि उसका शरीर कीड़ों से भर गया। कन्या ने सारी बात मां से कही। मां ने पति से सब कहते हुए पूछा- प्राणनाथ! मेरी साध्वी कन्या की यह गति होने का क्या कारण है?

उत्तंक ने समाधि द्वारा इस घटना का पता लगाकर बताया- पूर्व जन्म में भी यह कन्या ब्राह्मणी थी। इसने रजस्वला होते ही बर्तन छू दिए थे। इस जन्म में भी इसने लोगों की देखा-देखी ऋषि पंचमी का व्रत नहीं किया। इसलिए इसके शरीर में कीड़े पड़े हैं।धर्म-शास्त्रों की मान्यता है कि रजस्वला स्त्री पहले दिन चाण्डालिनी, दूसरे दिन ब्रह्मघातिनी तथा तीसरे दिन धोबिन के समान अपवित्र होती है। वह चौथे दिन स्नान करके शुद्ध होती है। यदि यह शुद्ध मन से अब भी ऋषि पंचमी का व्रत करें तो इसके सारे दुख दूर हो जाएंगे और अगले जन्म में अटल सौभाग्य प्राप्त करेगी।

पिता की आज्ञा से पुत्री ने विधिपूर्वक ऋषि पंचमी का व्रत एवं पूजन किया। व्रत के प्रभाव से वह सारे दुखों से मुक्त हो गई। अगले जन्म में उसे अटल सौभाग्य सहित अक्षय सुखों का भोग मिला।

शास्त्रों के अनुसार ऋषि पंचमी पर हल से जोते अनाज आदि का सेवन निषिद्घ है। ऋषि पंचमी के अवसर पर महिलाएं व कुंआरी युवतियां सप्तऋषि को प्रसन्न करने के लिए इस पूर्ण फलदायी व्रत को रखेंगी।

कहा जाता है कि पटिए पर सात ऋषि बनाकर दूध, दही, घी, शहद व जल से उनका अभिषेक किया जाता है, साथ ही रोली, चावल, धूप, दीप आदि से उनका पूजन करके, तत्पश्चात कथा सुनने के बाद घी से होम किया जाएगा।

जो महिलाएं ऋषि पंचमी का व्रत रखेंगी, वे सुबह-शाम दो समय फलाहार कर ही व्रत को पूर्ण करेंगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत में हल से जुता हुआ कुछ भी नहीं खाते हैं। इस बात को ध्यान में रखकर ही व्रत किया जाएगा। वे केवल फल, मेवा व समां की खीर, मोरधान से बने व्यंजनों को खाकर व्रत रखेंगी। तथा घर-घर में भजन-कीर्तनों का आयोजन किया गया।

      🐑🐂 राशिफल🐊🐬

🐏 राशि फलादेश मेष :-

(चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ)

स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा, सावधानी रखें। बुरी खबर मिल सकती है। भागदौड़ अधिक रहेगी। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। मेहनत अधिक होगी। लाभ में कमी रह सकती है। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। व्यवसाय-व्यापार मनोनुकूल चलेगा। आय बनी रहेगी। 

🐂 राशि फलादेश वृष :-

(ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो)

सामाजिक कार्य करने का मन लगेगा। मान-सम्मान मिलेगा। मेहनत का फल मिलेगा। कारोबार में वृद्धि के योग हैं। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। निवेश शुभ रहेगा। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। शत्रु तथा ईर्ष्यालु व्यक्तियों से सावधानी आवश्यक है। समय की अनुकूलता है।

 👫 राशि फलादेश मिथुन :-

(का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह)

पुरानी संगी-साथियों से मुलाकात होगी। उत्साहवर्धक सूचना प्राप्त होगी। फालतू खर्च होगा। स्वास्थ्य कमजोर रह सकता है। आत्मसम्मान बना रहेगा। जोखिम उठाने का साहस कर पाएंगे। भाइयों का सहयोग मिलेगा। कारोबार से लाभ होगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। जल्दबाजी न करें।

🦀 राशि फलादेश कर्क :-

(ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो)

बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे। भेंट व उपहार की प्राप्ति संभव है। व्यावसायिक यात्रा सफल रहेगी। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड से मनोनुकूल लाभ होगा। नौकरी में प्रभाव वृद्धि होगी। कोई बड़ा काम होने से प्रसन्नता रहेगी। जल्दबाजी न करें। उत्साह रहेगा। 

🦁 राशि फलादेश सिंह :-

(मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)

यात्रा लाभदायक रहेगी। संतान पक्ष से बुरी खबर मिल सकती है। डूबी हुई रकम प्राप्त होगी। व्यापार-व्यवसाय से मनोनुकूल लाभ होगा। नौकरी में प्रशंसा मिलेगी। जल्दबाजी से काम बिगड़ सकते हैं। नए उपक्रम प्रारंभ करने संबंधी योजना बनेगी। 

👩🏻‍🦰 राशि फलादेश कन्या :-

(ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो)

दुष्टजनों से सावधानी आवश्यक है। फालतू खर्च पर नियंत्रण नहीं रहेगा। हल्की मजाक करने से बचें। अपेक्षित काम में विलंब होगा। बेकार की बातों पर ध्यान न दें। अपने काम से काम रखें। लाभ के अवसर मिलेंगे। विवेक का प्रयोग करें। आय में वृद्धि होगी।

⚖ राशि फलादेश तुला :-

(रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते)

सामाजिक कार्य करने में मन लगेगा। योजना फलीभूत होगी। कार्यस्थल पर परिवर्तन हो सकता है। कारोबार मनोनुकूल लाभ देगा। नौकरी में अधिकार बढ़ सकते हैं। शेयर मार्केट, म्युचुअल फंड से लाभ होगा। आय में वृद्धि होगी। मान-सम्मान मिलेगा। स्वास्थ्‍य का ध्यान रखें। 

🦂 राशि फलादेश वृश्चिक :-

(तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)

चोट व दुर्घटना से बड़ी हानि हो सकती है। पुराना रोग उभर सकता है। वाणी में हल्के शब्दों के प्रयोग से बचें। किसी व्यक्ति विशेष से कहासुनी हो सकती है। स्वाभिमान को ठेस पहुंच सकती है। दौड़धूप रहेगी। नकारात्मकता हावी रहेगी। कीमती वस्तुएं संभालकर रखें। 

🏹 राशि फलादेश धनु :-

(ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)

यात्रा लाभदायक रहेगी। राजकीय सहयोग मिलेगा। सरकारी कामों में सहूलियत होगी। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। घर में सुख-शांति रहेंगे। कारोबारी अनुबंध हो सकते हैं। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। पार्टनरों से सहयोग मिलेगा। झंझटों में न पड़ें। 

🐊 राशि फलादेश मकर :-

(भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी)

चोट व रोग से कष्ट हो सकता है। बेचैनी रहेगी। प्रेम-प्रसंग में अनुकूलता रहेगी। पूजा-पाठ में मन लगेगा। सत्संग का लाभ मिलेगा। राजकीय बाधा दूर होकर लाभ की स्थिति बनेगी। व्यापार-व्यवसाय लाभदायक रहेगा। परिवार तथा मित्रों का सहयोग मिलेगा। प्रसन्नता बनी रहेगी। 

🏺 राशि फलादेश कुंभ :-

(गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा)

पार्टी व पिकनिक का कार्यक्रम बनेगा। आनंद के साथ समय व्यतीत होगा। मनपसंद व्यंजनों का लाभ मिलेगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। व्यापार मनोनुकूल लाभ देगा। नौकरी में प्रभाव वृद्धि होगी। किसी व्यक्ति से बहस हो सकती है। आशंका-कुशंका से बाधा होगी। 

🐡 राशि फलादेश मीन :-

(दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची)

ऐश्वर्य के साधनों पर खर्च होगा। नौकरी में कार्य की प्रशंसा होगी। मातहतों का सहयोग प्राप्त होगा। स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। भाग्योन्नति के प्रयास सफल रहेंगे। शारीरिक कष्ट संभव है। भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। विवेक से कार्य करें।

कुंडली से सम्बन्धित अन्य समस्याओं और उनके निराकरण हेतु संपर्क करें - पंडित राजेंद्र प्रसाद बेबनी

मोबाइल नंबर - 91 78953 06243

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