उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ जिले का सबसे बड़ा महाविद्यालय लक्ष्मण सिंह महर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय पुस्तकों/फर्नीचर/अध्यापकों की कमी से जूझ रहा है, इस व्यवस्था की ओर ना महाविद्यालय प्रशासन और ना ही सरकार का ध्यान गया। लेकिन हालात यह है कि प्रदेश के सभी डिग्री कालेजों में इसी तरह की परेशानियों से दो चार होना पड़ता है। वैसे बता दें, इस समय इस लक्ष्मण सिंह महर महाविद्यालय में 6900 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। यहाँ पढ़ने के लिए पड़ोसी जिलों से भी भारी संख्या में छात्र उच्च शिक्षा हेतु आते है। लेकिन महाविद्यालय में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। लगभग 7000 विद्यार्थियों के लिए 120 प्राध्यापकों के पद ही सृजित हैं, जिनमें से भी लगभग 3 दर्जन पद रिक्त पड़े हैं। महाविद्यालय के पुस्तकालय में पुस्तकों का भारी अभाव है और जो पुस्तकें उपलब्ध भी हैं वो इतनी पुरानी हैं कि उनकी प्रासंगिकता खत्म हो गयी है। जिसके कारण महाविद्यालय में छात्र-छात्राएं उग्र आंदोलन पर बैठे। उनकी मांग है कि सरकार को चाहिए कि पूरे प्रदेश के महाविद्यालयों में अनिवार्य सुविधाएं उपलब्ध कराए।
बता दें, आंदोलन पर बैठे छात्राओं को लोगों का भारी समर्थन भी मिला। विभिन्न संगठन छात्रों के इस आंदोलन को समर्थन देने के लिए धरना स्थल पर पहुंचे। वहीं, 6 जुलाई 2022 को उपान्त डबराल ने महाविद्यालय में पर्याप्त शिक्षक और पुस्तकें उपलब्ध नहीं होने पर शिक्षा विभाग व प्रधानमंत्री को एक शिकायत पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने लिखा ये अति सौभाग्य की बात है कि हमने ऐसी धरती पर जन्म लिया जिसने पूरे विश्व को ज्ञान बांटने का कार्य किया। हमारे केदारखंड व कूर्मांचल के विद्वानों ने वैदिक काल से ही विश्व को अहसास कराया कि विद्या पाना प्रत्येक मनुष्य का अधिकार है। आज तभी गुरुकुल परम्पराओं से होते हुए हम आधुनिक शिक्षा की ओर तक अग्रसर हो पाए हैं।
किसी समाज की सामाजिक संरचना सभी सुदृढ बन सकती है जब वहां ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाया जाए। ज्ञान है तो समृद्धि है। हमारी वैदिक संस्कृति में भी कहा गया है कि -
क्षणशः कणशश्चैव विद्यामर्थं च साधयेत्।
क्षणे नष्टे कुतो विद्या कणे नष्टे कुतो धनम् ॥
संस्कृत विद्वानों ने तो लिख दिया कि एक-एक क्षण गवाएं बिना ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। परंतु आज उत्तराखण्ड के शिक्षार्थियों को ज्ञान के अवसरों को उपलब्ध कराने हेतु आंदोलनरत होना पड़ रहा है। उन्हें शिक्षक और पुस्तकालय चाहिए, जिनके माध्यम से उनको ज्ञान प्राप्त हो सके। अफसोस कि ज्ञान और अध्यात्म वाली भूमि उत्तराखण्ड के इतिहास में आज ऐसे आंदोलन का पन्ना भी जुड़ गया। क्योंकि शिक्षा हमारा अधिकार है और शिक्षा हेतु उचित अवसर उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है इसलिए गुणवता पूर्ण शिक्षकों और पुस्तकालयों की मांग करने वाले शिक्षार्थियों के समर्थन में हम भी है।
ये पत्र हमारी मंशा को आप तक पहुँचाने हेतु लिखा जा रहा है। आशा है आप अपनी प्रतिक्रिया, इस पत्र के उत्तर के माध्यम से व्यक्त करेंगे। गौरतलब है कि मुख्य शिक्षा अधिकारी डॉ० मुकुल कुमार सती ने शिकायत पर संज्ञान लिया। मुख्य शिक्षा अधिकारी ने शिकायत पत्र का जवाब देते हुए कहा कि वर्तमान में विद्यालयी शिक्षा विभाग के अन्तर्गत रिक्त पदो के प्रति नियुक्तियों की प्रक्रिया गतिमान है तथा पुस्तकालय हेतु विभाग द्वारा विद्यालयों को बजट उपलब्ध कराया जा रहा है।
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