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सुंदर उत्तराखण्ड राज्य में बढ़ता मानव-वन्यजीव संघर्ष

रिज़वी बिष्ट


उत्तराखण्ड राज्य अपने प्राकृतिक सौंदर्य व वन्यजीवों के कारण विख्यात है। यहां के वन, अनेक पशु-पक्षी व जंगली जानवर इस राज्य को खूबसूरत, आकर्षण व प्रसिद्ध बनाते हैं। उत्तराखण्ड में कुल क्षेत्रफल (53,48 3 वर्ग किलोमीटर) का 71.05% (38,000 वर्ग किलोमीटर ) भाग वन आरक्षित है। उत्तराखण्ड जिन चीजों के कारण प्रसिद्ध है वहीं दूसरी तरफ उन्हीं चीजों के कारण यहां के लोग परेशानियां भी उठा रहे है।

जिन वन्यजीवों के कारण उत्तराखण्ड प्रसिद्ध था। आज उन्हीं वन्यजीवों ने परेशानियां उत्पन्न कर रखी है, अलग-अलग क्षेत्रों में जंगली जानवरों ने आम लोगों की दिक्कतें बढ़ा दी है। तेंदुए,बाघ, जंगली सूअर व हाथी आदि जंगली जानवरों ने किसानों की मेहनत को बर्बाद कर दिया है। कई ऐसे गांव हैं जहां इन जानवरों ने फसलों को तो रौंदा ही पर साथ ही साथ किसानों की मेहनत को भी रौंद दिया है। वहीं कुछ जानवर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं तो कुछ जंगली जानवर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। गुलदार, बाघ, हाथी व भालू के हमलों से कई लोग घायल व कई लोगों की मौत हो चुकी है।

यह जंगली जानवर न केवल फसल बर्बाद कर रहे हैं बल्कि लोगों की जान भी ले रहे है। उत्तराखण्ड में हर साल लगभग 60 से अधिक लोग जंगली जानवरों के हमलों में जान गवा रहे हैं। इसकी जानकारी सूचना अधिकार के अंतर्गत ली गई है। सरकार द्वारा बताया गया है कि 2020 से अब तक राज्य में 161 लोग वन्यजीवों का शिकार हुए हैं।

बाघ के हमले से 13 लोगों की मौत व 32 लोग घायल

गुलदार के हमले से 66 लोगों की मौत व 186 लोग घायल

हाथी के हमले से 28 लोगों की मौत व 27 लोग घायल

भालू के हमले से 5 लोगों की मौत व 178 लोग घायल 

देहरादून के राजाजी टाइगर रिजर्व मे वन्यजीव प्रतिपालक प्रशांत हिन्द्वान का कहना है कि "मानव वन्यजीव टकराव का सबसे बड़ा कारण है उनके रहने की जगह का कम होना, जिस कारणवश वह शहर की ओर आ रहे हैं। इसके साथ ही उनकी संख्या में बढ़ोतरी भी एक बड़ी वजह बताई गई है।

यह भी बताया गया है कि वन्यजीवों के कारण जो नुकसान आम जनता को सहना पड़ रहा है उसके लिए सरकार ने अनेक नीतियां बनाई है। अगर किसी जंगली जानवर के कारण कोई नुकसान व हानि आम जनता को पहुंची है तो सरकार ने उसके लिए अलग-अलग धनराशि तय कर रखी है जो कि समय-समय पर बढ़ा दी जाती है। मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए आबादी क्षेत्रों में तथा जंगल और खेतों के बीच सोलर फेंसिंग लगाई जा रही है। हाथी से बचाव के लिए हाथी खाई वह हाथी रोधी दीवार (मोटी सीमेंट की दिवार) बनाई जा रही है। वन्य जीवो का हमला तुरंत खत्म तो नहीं किया जा सकता पर धीरे-धीरे हमले कम करने का प्रयास वन विभाग  कर रहा है " वन विभाग की तरफ से समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाया जाता है। गांव में जाकर उन्हें जंगली जानवरों से बचने व उनके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए वह बताया जाता है।

रामनगर, टिहरी, पौड़ी जैसे क्षेत्रों में जहां गुलदार,बाघ, हाथी व अन्य जानवरों का हमला जब बढ़  जाता है तब उन क्षेत्रों में गश्त बढ़ा दी जाती है। आदमखोर जानवरों को पकड़ने के लिए तत्काल कार्यवाही की जा रही है। वर्तमान की स्थिति को देखते हुए, वन्यजीव संरक्षण के साथ ही साथ मानव जीवन संरक्षण भी आवश्यक है।

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