उत्तर नारी डेस्क
बता दें, अभिलाष ने बताया कि, जब रेड कार्पेट पर लुक की बात हुई तो उन्होंने अपनी पहचान लेकर वहां जाने की सोची और इसे लेकर उन्होंने अपनी डिजाइनर अमनदीप कौर से बात की और फिर ड्रेस के साथ ऐपण डिजाइन मैच करने का निर्णय लिया। इसके बाद उन्होंने मीनाक्षी खाती से संपर्क किया, जिन्होंने कई बेहतरीन डिजाइन बताए। बाद में स्टाल और कुर्ते के कालर पर ऐपण का बार्डर बनाया गया। वे चाहते हैं कि उत्तराखंड के लोग अपनी बोली और पहचान को अपनाएं। इससे न केवल हम अपनी संस्कृति को बचाएंगे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों तक इसे पहुंचाने में मदद मिलेगी।
वहीं, स्टोल को डिजाइन करने वाली रामनगर निवासी मीनाक्षी खाती इस बात से काफी खुश हैं कि उनके ऐपण डिजाइन को कान जैसा अंतरराष्ट्रीय मंच मिला है। मीनाक्षी बताती हैं, स्टोल के बार्डर पर हमने लहरिया बेल बनाई है, जो जीवन में निरंतरता, प्रगति, सुगंध और सुंदरता का संदेश देती है। इसके साथ ही मैग्पाई चिड़िया बनी है, जो खुशहाली का प्रतीक है। मीनाक्षी के अनुसार, कुमाऊंनी परंपरा के तहत पक्षियों को ऐपण में प्रेम और जीवन के प्रतीक के रूप में उकेरा जाता है। ऐपण कला प्रकृति से प्रेरित है, इसलिए इसमें हिमालय, पेड़, गार्गी बेल जैसी चीजें बनाई जाती हैं।
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