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उत्तराखण्ड में मिला एक हजार साल पुराना एक मुखी शिवलिंग

उत्तर नारी डेस्क 

उत्तराखण्ड जिसका उपनाम देवभूमि भी है। उत्तराखण्ड को इस नाम से पुकारे जाने का कारण है इसकी भूमि पर स्थित अनेकानेक सिद्ध स्थान एंव अनगिनत शक्तिपीठ। जिस भूमि का कण-कण व पग-पग ईश्वरीय अनुभूति से भर दे वह स्थान ही कहलाता है देवभूमि। वहीं, ऐतिहासिक धरोहरों, प्रतीकों और मूर्तियों की नगरी अल्मोड़ा में एक बार फिर से ऐतिहासिक मूर्ति मिली है। इस बार अल्मोड़ा के चौखुटिया में करीब एक हजार साल पुराना चार फुट ऊंचा एकमुखी शिवलिंग मिला है। विभाग के मुताबिक यह शिवलिंग दुर्लभ और ऐतिहासिक है।

जानकारी के अनुसार, 14 सितंबर को चौखुटिया के हाट गांव के गधेरे में प्राचीन एकमुखी शिवलिंग मिला। पुरातत्व विभाग ने शिवलिंग को अपने संरक्षण में लेने के बाद इसके नौवीं-दसवीं शताब्दी का होने का अनुमान लगाया है। विभाग के मुताबिक यह यहां कैसे पहुंचा, यह बता पाना मुश्किल है। यह सभी के लिए कौतूहल बना है। इस दुर्लभ शिवलिंग के मिलने से पुरातत्व विभाग और संस्कृति विभाग में उत्साहित है। वहीं, पुरातत्व विभाग के अधिकारियों का अनुमान है कि जिस स्थान पर शिवलिंग मिला है, वहां पूर्व में विशाल शिव मंदिर रहा होगा। 

बता दें, जैसे ही लोगों को शिवलिंग के होने की सूचना मिली तो वहां भीड़ जमा हो गयी। शिवलिंग के दर्शन करने को लगातार श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। यह शिवलिंग करीब चार फीट लंबी व छह क्विंटल वजनी है। पूर्व में ग्रामीणों ने इसे पुरातत्व विभाग के संरक्षण में दिए जाने से इन्कार किया लेकिन विभाग की तरफ से खंडित शिवलिंग को न पूजे जाने का हवाला देने के बाद ग्रामीण इस पर सहमत हुए हैं। 
ग्रामीणों के अनुसार करीब चार दशक पूर्व यह मूर्ति नौला गधेरे में आई बाढ़ के चलते मलबे में दब गई थी। इस बार बरसात में गधेरे के भू-कटाव से शिवलिंग का ऊपरी हिस्सा फिर प्रकट हो गया। जिसके बाद ग्रामवासियों ने खोदाई कर शिवलिंग के एक बड़े भाग को बाहर निकाल लिया, लेकिन अधिक वजनी के चलते शिवलिंग पूरी तरह जमीन से बाहर नहीं निकल सका। ऐसे में तब मानव जनकल्याण समिति ने लोडर की मदद से शिवलिंग को जमीन से सुरक्षित निकाल लिया।ग्रामीणों के अनुसार, शिवलिंग वाले स्थान को मोतीद्यौ के नाम से जाना जाता था। तब ग्रामीण पूरे श्रद्धाभाव से शिवलिंग की पूजा करते थे। 

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