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20 नवंबर को बंद होंगे द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट

पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विश्व विख्यात भगवान मदमहेश्वर के कपाट आगामी 20 नवम्बर को शुभ लगनासुर वेद ऋचाओं के साथ शीतकाल के लिए बन्द किये जायेंगे। मदमहेश्वर धाम में इस बार 16 हजार से अधिक तीर्थ यात्रियों के पहुंचने से मदमहेश्वर धाम में भी तीर्थ यात्रियों के आंकड़े ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है क्योंकि मदमहेश्वर धाम पहुंचने के लिए 15 किमी का सफर पैदल तय करना पड़ता है। भगवान मदमहेश्वर के कपाट बन्द होने के बाद भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर के लिए रवाना होगी तथा प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गौण्डार गाँव पहुंचेगी तथा विभिन्न यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए 23 नवम्बर को शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में विराजमान होगी तथा 24 नवम्बर से भगवान मदमहेश्वर की शीतकालीन पूजा शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में विधिवत शुरू होगी।

भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश से ऊखीमठ आगमन पर लगने वाले मदमहेश्वर मेले की तैयारियां मन्दिर समिति व मेला समिति द्वारा शुरू कर दी गयी है। जानकारी देते हुए ओंकारेश्वर मन्दिर प्रभारी रमेश नेगी ने बताया कि द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर के कपाट आगामी 20 नवम्बर को शीतकाल के लिए बन्द किये जायेंगे तथा कपाट बन्द होने के बाद भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली धाम से रवाना होकर कून चट्टी, मैखम्बा , नानौ, खटारा, बनातोली यात्रा पडा़वो पर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए प्रथम रात्रि प्रवास के लिए गौण्डार गाँव पहुंचेगी। 

21 नवम्बर को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली गौण्डार गाँव से रवाना होकर द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए राकेश्वरी मन्दिर रासी पहुंचेगी व 22 नवम्बर को भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली राकेश्वरी मन्दिर रासी से रवाना होकर उनियाणा, राऊंलैक, बुरूवा, मनसूना हिल स्टेशनों पर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए अन्तिम रात्रि प्रवास के लिए गिरीया गाँव पहुंचेगी तथा 23 नवम्बर को गिरीया गाँव में ब्रह्म बेला पर श्रद्धालु भगवान मदमहेश्वर के निर्वाण दर्शन करने के बाद भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर के लिए रवाना होगी तथा फापज, सलामी, मंगोलचारी, ब्रह्मणखोली, डगवाडी सहित विभिन्न स्थानों पर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए दोपहर बाद शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में विराजमान होगी तथा 24 नवम्बर से भगवान् मदमहेश्वर की शीतकालीन पूजा विधिवत शुरू होगी। मन्दिर समिति के अधिकारी डी एस भुजवाण ने बताया कि भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर आगमन पर ओकारेश्वर मन्दिर को लगभग 8 कुन्तल फूलों से सजाया जायेगा। मन्दिर समिति अधिकारी यदुवीर पुष्वाण ने बताया कि मदमहेश्वर धाम के कपाट बन्द करने के लिए मन्दिर समिति की टीम 18 नवम्बर को धाम के लिए रवाना होगी।

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