उत्तर नारी डेस्क
1992 में संविधान का 74वां संविधान संशोधन संसद द्वारा पारित कर एक कानून बनाया गया जो 1 जून 1993 से लागू हुआ। 74 वें संशोधन अधिनियम के तहत भारत के संविधान में नया भाग ‘भाग 9(A)’ जोड़ा गया। जिससे नगर पालिकाओं को संवैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ। नगरपालिका को संविधान में तीन भाग में बांटा गया। जो है – नगर पंचायत , नगर पालिका परिषद और नगर निगम।
नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद और नगर निगम के अंतर हैं। आज हम इसी पर बात करेंगे।
-नगर पंचायत Nagar Panchayat
नगर पंचायत सबसे निम्न श्रेणी मे आता है। यह उन क्षेत्रों में स्थापित किए जाते हैं जो अभी-अभी ग्रामीण से नगरी क्षेत्र में परिवर्तित हुए हैं। इन स्थानों में कम से कम 30 हजार और अधिकतम एक लाख जनसंख्या होती है। नगर पंचायत में नगर पंचायत अध्यक्ष या चेयरमैन का चुनाव होता है।
-नगर पालिका परिषद Nagar Palika Parishad
नगर पालिका मध्यम श्रेणी में आती है। नगर पालिका नगर पंचायत से बड़ी और नगर निगम से छोटी होती है। जिन क्षेत्रों में नगर पंचायत स्थापित होते हैं। वहीं पर इनको परिवर्तित करके नगर पालिका परिषद की स्थापना की जाती है। 1 लाख से 5 लाख तक की आबादी वाले क्षेत्रों में नगर पालिका परिषद की स्थापना की जाती है। नगर पालिका में नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव होता है।
-नगर निगम Nagar Nigam
नगरीय स्थानीय शासन की सबसे बड़ी श्रेणी में नगर निगम आता है। नगर निगम क्षेत्र वहां पर स्थापित किए जाते हैं, जहां की जनसंख्या कम से कम 5 लाख हो। नगर निगम के चुनाव में मेयर या महापौर चुने जाते हैं।