रिज़वी बिष्ट
हमारे जीवन के लिए मिट्टी बहुत महत्वपूर्ण होती है। खनिज, कार्बनिक पदार्थ और वायु से मिट्टी का निर्माण होता है और इन के माध्यम से पौधों का विकास भी होता है। इसके साथ ही साथ मिट्टी कई कीड़ों और जीवो के लिए रहने की जगह भी है।
उत्तराखण्ड का 48 प्रतिशत से अधिक हिस्सा मिट्टी के कटाव और कुछ प्रतिशत हिस्सा मृदा प्रदूषण से अत्यधिक प्रभावित हो रहा है, जो स्थानीय पर्यावरण, कृषि और आजीविका के लिए एक प्रमुख चुनौती बनती जा रही है।
उत्तराखण्ड में एक पहाड़ी क्षेत्र और दूसरा मैदानी क्षेत्र है। और मृदा प्रदूषण जिस क्षेत्र में हो रहा है वह है मैदानी क्षेत्र। इसके पीछे का कारण है बढ़ते उद्योग व कारखाने। जितनी भी गंदगी इन उद्योग और कारखानों से निकलती है वह एक बढ़े मैदान में या नदियों में डाल दिए जाते हैं। जो कि मृदा के लिए हानिकारक है। इसके साथ ही वाहित मल -जल ( वह जल जिसमें मल -मूत्, घरेलू और औद्योगिक व्यर्थ पदार्थ मिले होते हैं) और शेष ठोस पदार्थ भी एक मुख्य कारण है।
क्या है मृदा प्रदूषण के मुख्य कारण?
1. रासायनिक उर्वरकों में फास्फेट, नाइट्रोजन एवं अन्य कार्बनिक रासायनिक का अधिक मात्रा में प्रयोग होना।
2. इमारती पत्थर, लौह,अयस्क, अभ्रक व तांबा आदि खनिजों के उत्खनन से निकलने वाले मलबे मृदा की को समाप्त कर देते हैं।
3. कृषि मे उर्वरकों तथा कीटनाशकों का अधिक प्रयोग।
4. मृदा प्रदूषण का एक मुख्य कारण मृदा खनन में बढ़ोतरी भी है।
मृदा प्रदूषण का मुख्य प्रभाव पेड़-पौधों पर पड़ता है। इससे आसपास कोई भी पेड़-पौधे जीवित नहीं रह पाते हैं। इसके अलावा अगर कोई पेड़-पौधा वहां हो भी जाए तो वह खाने योग्य नहीं होता है या उसे खाने से अन्य जीव-जंतु बीमार हो जाते हैं। मृदा प्रदूषण के कारण अनाज उत्पादन में भारी मात्रा में गिरावट हुई, इसका सीधा प्रभाव मानव जाति पर पड़ा है। मानव जाति अगर इन फल-सब्जियों का सेवन कर रहे हैं जो कि दूषित भूमि से उत्पन्न हो रही है तो वह अन्य गंभीर बीमारियों से सामना कर रहे है। इसके साथ ही मृदा प्रदूषण के कारण वह जमीन बंजर भी पड़ जाती है।
मृदा प्रदूषण को कैसे करें नियंत्रित?
1. कीटनाशकों का कम से कम प्रयोग करें।
2. रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर समन्वित पादप पोषण प्रबंधन करें।(Integrated Nutrient Management )
3. कृषि खेतों में जल जमाव को दूर करने के लिए जल निकास की व्यवस्था करें।
4. वैज्ञानिकों के सुझाव के अनुसार जिप्सम तथा पायराइट्स जैसे रासायनिक मृदा सुधारकों का प्रयोग करें।
5. प्लास्टिक जैसे हानिकारक पदार्थ को मिट्टी में ना जलाए।
मिट्टी उस माध्यम के रूप में कार्य करती है जो पौधों की वृद्धि में मदद करता है, जिसके कारण हम मानव जीवन को अन्न मिलता है।मृदा प्रदूषण को उत्तराखण्डी में अगर नहीं रोका गया तो आने वाले समय में भोजन प्राप्त होना कठिन है।
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