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कोटद्वार : इगास-बग्वाल के भैलो का शानदार आगाज, भैलो के अग्निपुंजों के साथ जमकर थिरके लोग

शीतल बहुखण्डी 

उत्तराखण्ड के लोक पर्व इगास बग्वाल को पूरे प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाया गया। इसी क्रम में कोटद्वार में भी बलूनी पब्लिक स्कूल के तत्वाधान में भैलो कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जहां इस आयोजन के कार्यक्रम सहयोगी नेशनल सोशल मीडिया जर्नलिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज इष्टवाल रहे और कार्यक्रम की आयोजक बलूनी पब्लिक स्कूल की डायरेक्टर अभिलाषा भारद्वाज और संस्थान के एमडी विपिन बलूनी रहे। 

आपको बता दें इससे पहले लोक पर्व भैलो कार्यक्रम का आयोजन 14 नवम्बर को सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल देहरादून में किया गया। जिसमें सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में लोक पर्व इगास बग्वाल को बड़े उत्साह के साथ मनाया गया।

वरिष्ठ पत्रकार मनोज इष्टवाल 2016 से लगातार लोक पर्व इगास बग्वाल को राजधानी देहरादून में आयोजित करवाते आ रहे हैं। जिसकी शुरुआत उन्होंने देहरादून के परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल से की थी। उत्तराखण्ड की संस्कृति से लोक पर्व इगास को बचाये रखने की इस पहल पर वरिष्ठ पत्रकार मनोज इष्टवाल को वर्ष 2017 में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी ने फोन कर उनकी प्रसंशा कर आयोजन के सफल होने की तारीफ की। जिसके बाद वरिष्ठ पत्रकार मनोज इष्टवाल ने टिहरी क्षेत्र के जनवासियों के साथ मिलकर इस कार्यक्रम का आयोजन हरिद्वार बाईपास में करवाया। 2018 में राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी यह कार्यक्रम उत्तराखण्ड में आयोजित करवाना चाहते थे परन्तु वह कैंसर से ग्रसित थे। जिस पर उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से उत्तराखण्ड के सभी लोगों को इगास बग्वाल पर्व मनाने का आह्वान भी किया था। 

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2018 में भी वरिष्ठ पत्रकार मनोज इष्टवाल ने देहरादून के परेड ग्राउंड स्थित धरना स्थल में लोक पर्व भैलो कार्यक्रम का आयोजन किया था। जिसकी सफलता के लिए राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी ने मुंबई से फोन कर उनके द्वारा किया जा रहे इन प्रयासों की तारीफ कर शुक्रिया अदा किया था। धीरे धीरे 2019 में वरिष्ठ पत्रकार मनोज इष्टवाल के लगातार प्रयासों से ही उनकी यह मुहिम तब रंग लायी। जब कई लोग उनके द्वारा शुरू की इस मुहिम में शामिल होने लगे और कई संस्थाओं ने भी भैलो कार्यक्रम के आयोजन की शुरुआत की। 

वरिष्ठ पत्रकार मनोज इष्टवाल ने बताया कि 2020 में उनके प्रयासों के तहत ही भैलो कार्यक्रम को पुनः अपने गांव ले जाया गया। जहां ग्रामीणों के सहयोग से गांव में लगभग 35 वर्ष बाद मैंने ईगास बग्वाली भैलो की शुरुआत करवाई और भैलो कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया। जहां सभी गांववासियों ने मिलकर भेलो खेला। उनकी इस मुहिम से ही अब इस साल देहरादून में भी शानदार भव्य आयोजन किया गया। जहां ढोल-दमाऊं रणसिंघा की गूंज में कई लोग जमकर थिरके और लोक पर्व इगास बग्वाल मनाया गया। इसके साथ ही राजनितिक संगठनों ने भी इस साल लोक पर्व इगास बग्वाल के भव्य आयोजन किए। 

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उत्तराखण्ड के 21 साल के इतिहास में इकलौता लोक पर्व इगास बग्वाल ऐसा पर्व है जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजकीय अवकाश की घोषणा की। यह पहला ऐसा निर्णय है जो कि किसी सरकार द्वारा लिया गया है। 

मनोज इष्टवाल ने बताया कि कोटद्वार में भी 14 नवम्बर को आयोजन रखा गया था लेकिन इस कार्यक्रम को आयोजित करने की रूपरेखा पता नहीं थी। जिस पर 15 नवम्बर को लोक पर्व इगास बग्वाल के राजकीय अवकाश होने की खुशी में इस पर्व के महत्व को समझते हुए बलूनी पब्लिक स्कूल की डायरेक्टर अभिलाषा भारद्वाज ने इसे वृहद रूप देने की इच्छा जतायी और इस आयोजन की रूप रेखा तैयार की। जिसकी बारीकियों को समझाने का प्रयास कार्यक्रम सहयोगी मनोज इष्टवाल ने किया। आख़िरकार इन सफल प्रयासों के बाद इस वर्ष कोटद्वार में भी बलूनी पब्लिक स्कूल द्वारा आयोजित इस पर्व में स्कूल की शिक्षिकाओं, कोटद्वार की समाजसेविकाओं ने पारम्परिक वेशभूषा पहन कर इगास बग्वाल के भैलो लोक पर्व को खेला।

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वरिष्ठ पत्रकार मनोज इष्टवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि इस कार्यक्रम की खास बात यह थी कि इसमें किसी भी राजनैतिक दल के राजनेता को आमंत्रित नहीं किया गया था। जिसका विशेष कारण यह था कि इस कार्यक्रम को आम जन किसी पार्टी विशेष का कार्यक्रम न समझे। इस कार्यक्रम का मकसद सिर्फ आम जनता तक लोक पर्व इगास बग्वाल को जिंदा रखना और आज की युवा पीढ़ी को अपनी लोक संस्कृति को लेकर जागरूक करना था। जिससे लोगों में अपनी लोक संस्कृति के प्रति उत्साह बना रहे व युगों युगों तक यह लोक पर्व इगास बग्वाल जीवंत रहे।

बताते चलें वरिष्ठ पत्रकार मनोज इष्टवाल विगत 07 वर्षों से देहरादून में बद्री केदार सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थान व सहयोगी निओ विजन, गढ़भोज के साथ मिलकर विभिन्न स्थानों में लोक पर्व इगास बग्वाल के भैलो कार्यक्रम को वृद्ध रूप से कराते आ रहे हैं। 

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गढ़वाल क्षेत्र में इगास बग्वाल की महत्वता 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, श्रीराम के वनवास से अयोध्या लौटने पर लोगों ने कार्तिक कृष्ण अमावस्या को दीये जलाकर उनका स्वागत किया था और इस दिन को दीपावली के त्योहार के रूप में मनाया था। लेकिन, गढ़वाल क्षेत्र में राम के लौटने की सूचना दीपावली के ग्यारह दिन बाद यानी कार्तिक शुक्ल एकादशी को मिली। इसीलिए ग्रामीणों ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए ग्यारह दिन बाद दीपावली का त्योहार एकादशी को उत्सव के रूप में मनाया। जिसके लिए सभी ग्रामीणों ने मिलकर भैलो बनाया। 

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क्या है भैलो 

भैलो मजबूत हरी बेल नुमा टहनियों पर बारिक कई लकड़ी बांधकर बनाया जाता है। भैलो का युवाओं व धियाणियों में विशेष क्रेज होता है। इसको बनाने के लिए लोग दो-तीन दिन पहले जंगलों से लीसायुक्त लकड़ी लाकर उसे बारीक स्टीक की तरह चीर कर फिर उसे बेल नुमा टहनियों पर बांध देते हैं। भैलो एक प्रकार की मशाल होती है, जिसे नृत्य के दौरान ढोल नगाड़ों के साथ आग के चारों ओर घुमाया जाता है। यह ग्रामीणों द्वारा अपनी खुशी जाहिर करने का एक तरीका है। क्यूंकि पहले के जमाने में पटाखों का प्रयोग नहीं किया जाता था। इसलिए सभी ग्रामीण शाम के वक्त गांव के किसी खाली खेत अथवा खलिहान में जाकर भगवान राम के बनवास के बाद अयोध्या पहुंचने पर खुशी में  भैलो नृत्य खेलते है। 



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