तान्या रावत
बता दें, पौड़ी गढ़वाल जिले के जहरीखाल ब्लॉक के अंतर्गत ग्रामसभा गजवाड़, घिल्डियाल गांव में स्थित यह मंदिर सदियों पुराना है। जिसे गुरु गोरखनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। जिस का निर्माण सन-15 अप्रैल 1951 को किया गया था। मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को कोटद्वार से लगभग 30 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। यह लोगों की अटूट आस्था ही तो है जो उन्हें इस पवित्र धाम की ओर खींच लाती है। मान्यता है कि यहां से कोई श्रद्धालु खाली हाथ नहीं लौटा। जब किसी श्रद्धालु द्वारा सच्चे मन से मांगी गई मुराद पूरी हुई है, तो वह मनोकामना पूरी होने पर मंदिर में आकर अपनी श्रद्धा से भंडारा करवाता है।
त्रिदिवसीय ग्रामोत्सव किया गया आयोजित
स्थानीय ग्रामीणों द्वारा बताया गया कि इस वर्ष पहली बार गांव में 23-24-25 मई को त्रिदिवसीय ग्रामोत्सव आयोजित किया गया। जबकि 26 मई गुरुवार को गुरु गोरखनाथ मेले का आयोजन हुआ। इस दौरान दूर-दराज के श्रद्धालुओं ने गुरु गोरखनाथ जी के दर्शन किए। वहीं महोत्सव में पहुंचे प्रवासी अपने पैतृक घरों को देख भावुक हो उठे। समापन अवसर पर आस-पास के क्षेत्रों से भी ग्रामीण नाचते-कूदते और भजन गाते हुये बाबा के दरबार पहुंचे। जहां बाबा के जयकारे से सम्पूर्ण आस्था धाम का माहौल भक्तिमय हो गया। इस दौरान मेला समिति ने ग्रामोत्सव में भंडारा, कीर्तन, चित्रकला प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया। ग्रामोत्सव में गांव के लोग, बेटियों व बुआओं को विशेष निमंत्रण था। वहीं, आयोजित ग्रामोत्सव के दौरान लोक गायिका रेखा धस्माना ने अपनी आवाज का जादू बिखेरा। वैसे गुरुवार को भी गुरु गोरखनाथ जी के मेले में संडे जैसा नजारा देखने को नजर आया। जहां मेले में खाने-पीने सहित खिलौनो की दुकानें भी सजाई गयी थी। वहीं लोगों ने मेले में जमकर चाट-पकौड़े का लुत्फ भी उठाया। ग्रामोत्सव के माध्यम से ग्रामसभा गजवाड़ ने पहाड़ की समृद्ध ग्राम्य संस्कृति को बचाने की जो मुहिम छेड़ी है वह सभी के लिए अनुकरणीय है। जो नई पीढ़ी को संदेश देती है कि गांव हमारी संस्कृति के केंद्र हैं और इनका संरक्षण आवश्यक है।
वहीं गांव की बेटी कविता बुड़ाकोटी ने बताया कि "गुरु गोरखनाथ जी के मंदिर की बहुत मान्यता है। यहां गुरु गोरखनाथ जी के दर्शन के लिए लोग बहुत दूर-दराज से आते है और गुरु गोरखनाथ जी के दर पर माथा टेक आशीर्वाद लेते है। उनका कहना है कि गुरु गोरखनाथ जी के मेले में लगभग 40 से 50 क्षेत्र के गॉव के लोग शामिल होते हैं। यहां से कोई खाली हाथ नहीं जाता गोरखनाथ जी सबकी मनोकामना पूर्ण करते है। कविता बुड़ाकोटी का कहना है कि यहां मेला लम्बे समय से आयोजित होता आ रहा है। लेकिन इस वर्ष पहली बार त्रिदिवसीय ग्रामोत्सव आयोजित किया गया। जिसका श्रेय उन्होंने आशुतोष घिल्डियाल जी को दिया है।"